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सड़क हादसे में जेल में बंद सिख युवक जशनप्रीत... अमेरिकी अदालत में बिना पगड़ी किया गया पेश, याचिका दायर

कैलिफोर्निया हादसे में आरोपी सिख ट्रक ड्राइवर जशनप्रीत सिंह की बिना पगड़ी अदालत पेशी ने विवाद खड़ा कर दिया. परिवार ने नशे के आरोपों को नकारा, जबकि सिख समुदाय ने इसे धार्मिक अपमान बताया. सुखबीर बादल ने न्याय और धार्मिक सम्मान की मांग की है.

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बिना पगड़ी अदालत में सिख युवक जशनप्रीत को पेश किया गया (Photo: X/@officeofssbadal)
बिना पगड़ी अदालत में सिख युवक जशनप्रीत को पेश किया गया (Photo: X/@officeofssbadal)

Trucker Jashanpreet Singh without turban: अमेरिका में हुए एक सड़क हादसे और अदालत पेशी ने सिख समुदाय को झकझोर दिया है. 21 साल के भारतीय मूल के ट्रक ड्राइवर जशनप्रीत सिंह पर आठ वाहनों की टक्कर का आरोप है, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई. लेकिन जब वह अदालत में बिना पगड़ी पेश हुआ, तो भारत में गहरा विरोध शुरू हो गया.

सुखबीर सिंह बादल समेत कई नेताओं ने इसे सिख धर्म और धार्मिक स्वतंत्रता का अपमान बताया. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपील की कि जशनप्रीत के अधिकारों की रक्षा की जाए और उसे न्याय मिले.

जशनप्रीत के पिता रवींदर सिंह ने बताया कि उनका बेटा अमृतधारी सिख है, जो कभी नशे के पास भी नहीं गया. उन्होंने कहा, "हमने उसे सिख सिद्धांतों के साथ पाला है. उस पर लगाए गए नशे के आरोप झूठे हैं." परिवार ने यह भी कहा कि वह निर्दोष है और न्याय की उम्मीद रखता है.

अदालत में पेशी और याचिका का विरोध

अक्टूबर 21 को हुए हादसे के बाद जशनप्रीत को नशे की हालत में गाड़ी चलाने और लापरवाही से हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया. लेकिन अदालत में बिना पगड़ी पेश किए जाने को लेकर अब Change.org पर एक याचिका दायर की गई है. इसमें लिखा गया है कि “पगड़ी उतारना न केवल एक व्यक्ति की आस्था पर चोट है बल्कि पूरे समुदाय का अपमान है.”

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राजनीतिक प्रतिक्रिया और न्याय की मांग

SAD अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जशनप्रीत को झूठा फंसाया गया है. पगड़ी उतारने की तस्वीरें देखकर मन विचलित हो गया.” उन्होंने कहा कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि धार्मिक गरिमा का सवाल है.

न्याय और सम्मान की उम्मीद

वर्तमान में जशनप्रीत बिना जमानत जेल में है. उसकी अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी. सिख समुदाय और भारत सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और उसके धार्मिक अधिकार बहाल कराएं.

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