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ताकि फिलिस्तीन देश बनने से रोका जाए... गाजा में तबाही के बाद वेस्ट बैंक को लेकर ये है इजरायल का मकसद

इजरायल ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 19 नई यहूदी बस्तियां बसाने को मंजूरी दी है. बेंजामिन नेतन्याहू सरकार का कहना है कि यह कदम फिलिस्तीनी राज्य बनने से रोकने के लिए उठाया गया है. इस फैसले की सऊदी अरब ने निंदा की है, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इसे क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया है.

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वेस्ट बैंक में इजरायली सेटमेंट को अवैध माना जाता है. (Photo- ITG)
वेस्ट बैंक में इजरायली सेटमेंट को अवैध माना जाता है. (Photo- ITG)

बेंजामिन नेतन्याहू शासन ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक में 19 नई यहूदी बस्तियों को मान्यता देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब इजरायल सरकार सेटलमेंट विस्तार की नीति को तेजी से आगे बढ़ा रही है. इस कदम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.

इस योजना को इजराइल के दक्षिणपंथी वित्त मंत्री बेजालेल स्मोट्रिच ने रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ के साथ मिलकर पेश किया था. स्मोट्रिच ने खुलकर कहा कि यह फैसला फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकने के मकसद से लिया गया है. उन्होंने कहा कि सेटलमेंट विस्तार के जरिए "दो-राष्ट्र समाधान" की संभावना को समाप्त किया जा सकता है.

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अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वेस्ट बैंक में इजरायली यहूदी बस्तियों को अवैध माना जाता है. इसके बावजूद, नेतन्याहू शासन लगातार नई बस्तियों को मंजूरी दे रहा है और पहले से मौजूद अवैध आउटपोस्ट्स को कानूनी दर्जा दिया जा रहा है.

सऊदी अरब और यूनाइटेड नेशन ने जताया विरोध

सऊदी अरब ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है. वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि इजरायल का "लगातार और आक्रामक" सेटलमेंट विस्तार क्षेत्र में तनाव को बढ़ा रहा है, फ़िलिस्तीनियों की जमीन तक पहुंच सीमित कर रहा है और एक संप्रभु फ़िलिस्तीनी राज्य की संभावना को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहा है. वहीं सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "किंगडम इंटरनेशनल कम्युनिटी से इन उल्लंघनों को खत्म करने की अपनी जिम्मेदारी लेने की अपील दोहराता है."

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दो देश बनाने पर समाधान मुश्किल

गाजा युद्ध के अक्टूबर 2023 में शुरू होने के बाद से वेस्ट बैंक में हिंसा में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. ऐसे हालात में सेटलमेंट विस्तार को लेकर यह आशंका और गहरी हो गई है कि इससे इजरायल का कब्जा और मजबूत होगा और टू-स्टेट सॉल्यूशन या कहें कि दो देश बनाने की राह और मुश्किल हो जाएगी.

यह भी पढ़ें: 'यहूदी नहीं तो अमेरिका का वजूद भी नहीं...', US को लेकर ऐसा क्यों बोले इजरायली PM नेतन्याहू

टू-स्टेट सॉल्यूशन का मतलब वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना से है, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो. यह समाधान 1967 के अरब-इजराइल युद्ध से पहले की सीमाओं पर आधारित माना जाता है.

तीन साल में 69 बस्तियों को दी गई मंजूरी

इजरायली शासन ने खुद बताया है कि बीते तीन वर्षों में इजरायल सरकार कुल 69 सेटलमेंट्स को मंजूरी दे चुकी है. हालिया फैसले में गनीम और कदीम नाम की दो बस्तियों को दोबारा बसाने की अनुमति भी शामिल है, जिन्हें लगभग 20 साल पहले हटाया गया था.

इससे पहले मई में इजरायल ने वेस्ट बैंक में 22 नई बस्तियों को मंजूरी दी थी, जिसे दशकों का सबसे बड़ा विस्तार बताया गया था. अगस्त में नेतन्याहू सरकार ने यरुशलम और माले अदूमीम के बीच ई1 परियोजना में 3,000 से अधिक घर बनाने की योजना को भी हरी झंडी दी थी. उस समय भी स्मोट्रिच ने कहा था कि यह योजना "फिलिस्तीनी राज्य के विचार को दफन कर देगी."

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1967 में इजराइल द्वारा कब्जाए और अपने में मिलाए गए पूर्वी यरुशलम को छोड़ दें तो वेस्ट बैंक में 5 लाख से ज्यादा इजरायली रहते हैं. इसके साथ ही इस इलाके में करीब 30 लाख फलस्तीनी भी रहते हैं.

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