ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में यहूदी त्योहार के दौरान हुए हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पश्चिमी देशों से यहूदी समुदाय की सुरक्षा को लेकर कड़ी और स्पष्ट अपील की है. नेतन्याहू ने कहा है कि दुनियाभर में यहूदियों को निशाना बनाया जा रहा है और एंटीसेमिटिज्म एक बार फिर खतरनाक रूप ले रहा है. उन्होंने कहा कि अगर यहूदी नहीं होते तो अमेरिका का अस्तित्व नहीं होता.
एक बयान में नेतन्याहू ने कहा कि यह केवल यहूदी समुदाय की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह पूरी सभ्यता की रक्षा की लड़ाई है. उन्होंने यहूदी इतिहास का जिक्र करते हुए मक्काबियों के संघर्ष को याद किया और कहा कि जैसे उस दौर में यहूदियों के अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की गई थी, वैसे ही आज भी यहूदी समुदाय को खत्म करने के प्रयास हो रहे हैं.
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नेतन्याहू ने कहा, "हम आज वही लड़ाई लड़ रहे हैं जो मक्काबियों ने लड़ी थी. वे यहूदी लोगों और यहूदी आस्था के अस्तित्व के लिए लड़े थे. अगर वे असफल हो जाते, तो न यहूदी धर्म होता और न ही जूडियो-क्रिश्चियन सभ्यता का अस्तित्व होता. कोई हकाबे नहीं होता. कोई अमेरिका नहीं होता. आजादी की सभ्यता नहीं होती." उन्होंने यह भी कहा कि आज की स्वतंत्रता, साझा मूल्य और परंपराएं उसी विरासत का परिणाम हैं.
मकाबीज का मतलब मुख्य रूप से यहूदी विद्रोही योद्धाओं के एक पुजारी परिवार से है, जिन्होंने दूसरी सदी में सेल्यूसिड साम्राज्य के खिलाफ एक सफल विद्रोह का नेतृत्व किया था.
पश्चिमी देशों से एंटीसेमिटिज्म से लड़ने की अपील
इजरायली प्रधानमंत्री ने पश्चिमी सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि एंटीसेमिटिज्म को हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने साफ शब्दों में मांग की कि यहूदी समुदाय को पर्याप्त सुरक्षा और संरक्षण दिया जाए. नेतन्याहू ने कहा, "मैं पश्चिमी सरकारों से मांग करता हूं कि वे एंटीसेमिटिज्म से लड़ने के लिए जरूरी कदम उठाएं और यहूदी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. उन्हें हमारी चेतावनियों को गंभीरता से लेना चाहिए."
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नेतन्याहू ने बयान की बजाय कदम उठाने की मांग की
सिडनी में हुए हमले के बाद यह मुद्दा एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय बहस के केंद्र में आ गया है. हाल के वर्षों में कई पश्चिमी देशों में यहूदियों के खिलाफ हमलों और नफरत की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. नेतन्याहू का कहना है कि अब समय आ गया है जब सिर्फ बयान नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई की जरूरत है. उन्होंने पश्चिमी देशों से तुरंत कदम उठाने की अपील करते हुए कहा कि यह सिर्फ यहूदियों की नहीं, बल्कि मानवता और सभ्यता की रक्षा का सवाल है.