भारत ने एक बार फिर मालदीव की मदद की है. मालदीव में भारतीय उच्चायोग ने सोमवार को एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने अपने समुद्री पड़ोसी मालदीव को 5 करोड़ डॉलर के ट्रिजरी बिल को एक साल के लिए रोलओवर कर दिया है. मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने इसके लिए भारत सरकार के प्रति जताया और कहा कि यह मदद दोनों देशों के बीच करीबी दोस्ती के संबंधों को दिखाता है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जारी किए गए बयान में, मालदीव में भारत के उच्चायोग ने कहा, 'भारत 5 करोड़ डॉलर के ट्रेजरी बिल के रोलओवर के जरिए मालदीव को वित्तीय मदद दे रहा है.'
बयान के अनुसार, मालदीव सरकार के अनुरोध के बाद, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने मालदीव के वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी 5 करोड़ डॉलर के सरकारी ट्रेजरी बिल को एक और साल के लिए सब्सक्राइब किया है.
बयान में इस बात का भी जिक्र किया गया कि साल 2019 से एसबीआई ने ऐसे कई ट्रेजरी बिलों का सब्सक्रिप्शन लिया है और उन्हें सालाना, बिना किसी ब्याज के मालदीव की सरकार को सौंप रहा है. यह सिस्टम दोनों देशों के बीच के व्यवस्था का हिस्सा है जो मालदीव को आपातकालीन वित्तीय मदद देता है.
बयान में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत ने जरूरत के समय मालदीव की मदद की है और इस ट्रेजरी बिल के सब्सक्रिप्शन के साथ-साथ भारत सरकार ने इस साल की शुरुआत में मालदीव के लिए जरूरी वस्तुओं के निर्यात के लिए विशेष कोटा को बढ़ाने का भी फैसला किया था. यह मालदीव सरकार और वहां के लोगों के प्रति भारत से लगातार समर्थन को दिखाता है.
5 करोड़ डॉलर के बिल के सब्सक्रिप्शन को एक और साल बढ़ाने से मालदीव काफी खुश है. भारत सरकार के प्रति आभार जताते हुए मालदीव के विदेश मंत्री डॉ. अब्दुल्ला खलील ने कहा, 'मैं 5 करोड़ डॉलर के ट्रेजरी बिल के रोलओवर के जरिए मालदीव को जरूरी वित्तीय मदद देने के लिए विदेश मंत्री जयशंकर और भारक सरकार के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. समय पर मदद मालदीव और भारत के बीच दोस्ती के घनिष्ठ संबंधों को दिखाती है.'
रिश्तों में तनाव के बाद आई है भारत-मालदीव संबंधों में नरमी
भारत और मालदीव लंबे समय से साझेदार रहे हैं. पिछले साल मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भारत आए थे जिस दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि 'पड़ोसी पहले' नीति और विजन SAGAR के तहत मालदीव के साथ भारत के संबंध बेहद अहम हैं.
मुइज्जू 2023 के अंत में भारत विरोधी रुख अपनाकर मालदीव के राष्ट्रपति बने थे. सत्ता में आने के बाद भी उनका भारत विरोधी रुख नहीं बदला और उन्होंने मालदीव में तैनात कम से कम 80 भारतीय सैनिकों को वापस भारत भिजवा दिया.
मुइज्जू ने चुने जाने के बाद मालदीव का एक रिवाज भी तोड़ा जिसमें राष्ट्रपति सबसे पहले विदेश दौरे में भारत आता है. वो भारत न आकर सीधे चीन गए थे. दोनों देशों के बीच काफी समय तक तनाव रहा लेकिन बाद में धीरे-धीरे दोनों देशों के रिश्तों में नरमी आई है. 6-10 अक्टूबर के बीच मुइज्जू भारत के राजकीय दौरे पर भी आए थे.