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'कूटनीति से ही निकलेगा समाधान', रूस-यूक्रेन युद्ध पर बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए 24-26 नवंबर तक इटली की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने कहा कि जितनी जल्दी वे ऐसा करेंगे, उतना ही बेहतर होगा क्योंकि बाकी दुनिया प्रभावित हो रही है. जयशंकर ने इतालवी अखबार कोरिएरे डेला सेरा को दिए एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि लंबे समय से चले आ रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष के मामले में किसी न किसी स्तर पर लोग बातचीत की मेज पर आएंगे. जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक के आउटरीच सत्र में भाग लेने के लिए 24-26 नवंबर तक इटली की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे जयशंकर ने कहा कि जितनी जल्दी वे ऐसा करेंगे, उतना ही बेहतर होगा क्योंकि बाकी दुनिया प्रभावित हो रही है.

जयशंकर ने इतालवी अखबार कोरिएरे डेला सेरा को दिए एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा, "आज हमारे सामने एक साथ दो बड़े संघर्ष हो रहे हैं. इससे पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर बहुत दबाव पड़ रहा है."

मंगलवार को प्रकाशित इंटरव्यू में जयशंकर के हवाले से लिखा गया, "हम सिर्फ दर्शक बनकर यह नहीं कह सकते कि ऐसा ही है. यह काम कर भी सकता है और नहीं भी. जब तक हम कोशिश नहीं करेंगे, हमें पता नहीं चलेगा. लेकिन हम मानते हैं कि यूक्रेन और मध्य पूर्व में इन दोनों संघर्षों पर देशों को पहल और प्रयास करने की आवश्यकता है, चाहे यह कितना भी मुश्किल क्यों न लगे. कुछ साझा आधार खोजने की कोशिश करें, कुछ ऐसा जो आज हमारे पास है उससे बेहतर हो." 

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रीय मंत्री ने दोहराया कि भारत को लगता है कि युद्ध को समाप्त करने का तरीका खोजने के लिए कूटनीति होनी चाहिए. और यही हम करने की कोशिश कर रहे हैं. 

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बता दें कि फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन संघर्ष 19 नवंबर को अपने 1,000वें दिन में प्रवेश कर गया.

जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कौन से रास्ते दिखाई दे रहे हैं, तो विदेश मंत्री ने कहा, "प्रतिभागियों को शामिल करना."

उन्होंने कहा, "आपको मॉस्को से बात करनी होगी और आपको कीव से बात करनी होगी. और यही हम करने की कोशिश कर रहे हैं. देखिए, अब लगभग तीन साल हो गए हैं. आपको युद्ध के मैदान से समाधान नहीं मिलने वाला है, है न? हमें बातचीत करनी होगी. किसी न किसी स्तर पर लोग बातचीत की मेज पर आएंगे. जितनी जल्दी वे ऐसा करेंगे, उतना ही बेहतर होगा, क्योंकि बाकी दुनिया भी इससे प्रभावित है." 

जयशंकर ने कहा, "ऐसा नहीं है कि इस संघर्ष का खामियाजा सिर्फ यूरोप को भुगतना पड़ रहा है. जो कुछ हो रहा है, उससे हर किसी का जीवन भी प्रभावित हो रहा है. इसलिए, यह समझें कि दुनिया के बहुत बड़े हिस्से में एक बड़ी भावना है. प्रतिभागियों को वास्तव में बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है." 

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि बातचीत की मेज पर वापस लौटने के लिए पहल करने वाले देशों का मामला आकर्षक है. और, मैं आपको बताना चाहूंगा कि यह दुनिया में एक बहुत व्यापक भावना है.

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यह पूछे जाने पर कि इस संघर्ष के भविष्य के बारे में उन्हें क्या समझ आ रही है, विदेश मंत्री ने कहा, "हमें तभी पता चलेगा कि रूस या यूक्रेन क्या चाहता है, जब वे बातचीत के लिए उतरेंगे."

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