बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में शामिल छात्रों का समूह, जिसे यूनुस ने कभी जुलाई-अगस्त के आंदोलन की 'रीढ़' बताया था, अब ताश के पत्तों की तरह बिखरता नजर आ रहा है. ढाका स्थित अखबार प्रोथोम अलो की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने छात्र आंदोलन से जुड़े दो सलाहकारों को उनके मंत्री पदों से इस्तीफा देने के लिए कहा है.
यह फैसला ऐसे समय आया है जब मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और उसके पूर्व सहयोगी जमात-ए-इस्लामी ने इन छात्र नेताओं के खिलाफ कड़ा विरोध जताया है. विपक्ष का आरोप है कि ये सलाहकार नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के पक्ष में झुकाव रखते हैं.
क्या है NCP?
NCP की स्थापना नाहिद इस्लाम ने की थी, जो 'एंटी-हसीना आंदोलन' के नेताओं में से एक थे. उन्होंने फरवरी में अपने पद से इस्तीफा देकर नई पार्टी NCP का गठन किया था, जो जुलाई-अगस्त के छात्र आंदोलन से जुड़े लोगों द्वारा बनाई गई थी. यह वही छात्र-नेतृत्व वाला एंटी-कोटा आंदोलन था, जो बाद में सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया और अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना को निर्वासन में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा.
क्यों हो रहा विरोध?
BNP और जमात-ए-इस्लामी का विरोध इस बात को लेकर है कि ये छात्र सलाहकार NCP के बहुत करीब हैं, इसलिए वे निष्पक्ष नहीं रह सकते. इनके राजनीतिक इरादों और NCP से निकटता के चलते उनकी तटस्थता पर सवाल उठ रहे हैं, खासकर तब जब यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ही प्रस्तावित चुनावों की निगरानी करेगी. यूनुस ने संकेत दिया है कि आम चुनाव फरवरी में कराए जा सकते हैं.
महफूज आलम और आसिफ महमूद की भूमिका
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सूचना एवं प्रसारण सलाहकार महफूज आलम तथा स्थानीय प्रशासन सलाहकार आसिफ महमूद सोजिब भुइयां से इस्तीफा देने को कहा है. बांग्लादेश की इस अंतरिम सरकार में 'सलाहकार' ही मंत्री का काम कर रहे हैं.
महफूज आलम और आसिफ महमूद दोनों ने ही 2024 में शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई थी. हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद, दोनों को यूनुस की अगुवाई वाले 23 सदस्यीय सलाहकार परिषद में शामिल किया गया था.
इस्तीफा देने के लिए मांगा समय
महफूज आलम ने शुरुआत में यूनुस के विशेष सहायक के तौर पर काम किया और नवंबर में उन्हें सलाहकार बनाया गया. बाद में उन्हें सूचना मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया. आसिफ महमूद को पहले श्रम, युवा और खेल से जुड़े काम दिए गए थे, लेकिन नवंबर 2024 में उन्हें स्थानीय प्रशासन विभाग का दायित्व मिल गया.
सूत्रों ने अखबार को बताया कि दोनों नेताओं ने इस्तीफा देने के लिए समय मांगा है, क्योंकि उन्हें डर है कि उनके हटने से विरोधी गुटों का हौसला बढ़ जाएगा. हाल ही में NCP नेताओं ने यूनुस से मुलाकात में इस मुद्दे को उठाया था और संतुलित प्रतिनिधित्व की मांग की थी.
पहले भी लोग छोड़ चुके हैं साथ
यह यूनुस प्रशासन में पहली दरार नहीं है. इससे पहले नाहिद इस्लाम, जो छात्र आंदोलन के एक और नेता थे, ने फरवरी में यूनुस परिषद से इस्तीफा देकर NCP का नेतृत्व संभाल लिया था. इस महीने की शुरुआत में यूनुस की वरिष्ठ सलाहकार सायदा रिजवाना हसन ने NCP के इस दावे को खारिज कर दिया था कि सरकार के सलाहकार 'सुरक्षित रास्ता' (safe exit) तलाश रहे हैं.