बांग्लादेश में कट्टरपंथी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या को लेकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की वरिष्ठ नेता निलोफर चौधरी मोनी ने आरोप लगाया है कि हत्या के मुख्य आरोपी को वारदात से कुछ महीने पहले जमात-ए-इस्लामी के एक प्रमुख नेता और वकील ने दो बार जमानत दिलवाई थी.
बीएनपी की वरिष्ठ नेता निलोफर चौधरी मोनी ने दावा किया कि जमात-ए-इस्लामी के सीनियर नेता और जाने-माने वकील शिशिर मनीर ने उस व्यक्ति को दो बार जमानत दिलाई, जिस पर हादी को गोली मारने का आरोप है. मोनी के मुताबिक इनमें से एक जमानत आदेश हत्या से कुछ ही महीने पहले मिला था.
'हादी पर गोली चलाने वाले का इतिहास देखना होगा'
मोनी ने ये आरोप एकुशे टेलीविजन पर एक टीवी पैनल चर्चा के दौरान लगाए. उन्होंने कहा कि आरोपी के कानूनी और राजनीतिक बैकग्राउंड की अंतरिम सरकार को गंभीरता से जांच करनी चाहिए. मोनी ने कहा, 'जो व्यक्ति हादी पर गोली चलाने वाला है, उसके पीछे का इतिहास देखना होगा. उसे दो बार जमानत किसने दिलाई. शिशिर मनीर ने. मैं यह बात पूरी जिम्मेदारी से कह रही हूं.'
'दोनों बार जमात के वकीलों ने जमानत करवाई'
उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि गंभीर आरोपों के बावजूद आरोपी बार-बार कैसे बाहर आ जाता है. आरोपी के पास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की खबरों का जिक्र करते हुए मोनी ने कहा, '17 लाख टका के साथ कौन पकड़ा गया था. यह एक महीने के भीतर दो बार कैसे हुआ. हम गिरफ्तारी तो देखते हैं, लेकिन यह नहीं देखते कि वे बाहर कैसे आ जाते हैं. दोनों बार जमात के वकीलों ने जमानत करवाई.'
'ज्यादा बोलूंगी तो घर भी नहीं लौट पाऊंगी'
बीएनपी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि संदिग्ध शूटर के अलग-अलग राजनीतिक संगठनों से संबंध रहे हैं. उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर यह व्यक्ति बांग्लादेश छात्र लीग और जमात की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर से जुड़ा रहा है.' मोनी ने यह संकेत भी दिया कि उनके बयान से उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा, 'अगर मैं ज्यादा बोलूंगी तो शायद सुरक्षित घर भी न लौट पाऊं.'