
पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों पर भी दिखाना शुरू हो गया है. गंगा सहित उनकी सहायक नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव जारी है. वाराणसी में गंगा का जलस्तर 20 मिलीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है और खतरे के निशान तक आ गया है. एहतियातन गंगा में छोटी नाव के संचालन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जलस्तर बढ़ने के चलते पक्के घाटों का आपसी संपर्क भी टूटना शुरू हो गया है. गंगा की खूबसूरत सीढ़ियां और मंदिर भी जलमग्न होने लगे हैं. और तो और तटवर्ती इलाके पर आश्रित होकर जीविकोपार्जन करने वाले भी ऊंचाई पर पलायन करना शुरू हो चुके हैं.

खूबसूरत दिखने वाले वाराणसी के पक्के घाट इन दिनों बाढ़ के पानी में समाते चले जा रहे हैं. सभी 84 घाटों की सीढ़ियों को गंगा का पानी डुबोने पर आमादा है, तो वहीं घाट किनारे छोटे मंदिर तो जलमग्न हो चुके हैं. बड़े मंदिरों को भी गंगा में आई बाढ़ ने अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है.
गंगा में आई बाढ़ की वजह से NDRF और जल पुलिस पूरी तरह अलर्ट है. नाव के संचालन से लेकर गंगा स्नान करने वाले सभी लोगों को जल पुलिस की तरफ से हिदायत देने का सिलसिला भी जारी है. क्योंकि, वाराणसी में गंगा में सभी तरह की छोटी नाव के संचालन पर रोक लग चुकी है और बढ़ी नाव पर भी क्षमता से आधी सवारी न बैठाने का निर्देश दे दिया गया है. नाविक प्रेम सागर ने बताया कि अगर ऐसे ही गंगा का जलस्तर बढ़ता गया तो आने वाले दिनों में पूरी तरह से गंगा में नौका संचालन पर रोक लग जाएगी.

वहीं, घाट किनारे पूजन-पाठ कराकर अपनी आजीविका कमाने वाले पंडा-पुजारियों शत्रुघ्न पांडे और रमेश त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसकी वजह से वह अपनी चौकियों और छतरी को ऊंचाई पर ले जा रहें है, अगर ऐसे ही गंगा का पानी बढ़ता गया तो हम सड़क पर ही अपनी चौकियों को रखकर पूजन कराएंगे. बाढ़ के वक्त हर बार ऐसा होता है.

दूसरी ओर काशी घूमने आने वालों की पहली पसंद गंगा में नौका विहार और घाट टू घाट वॉक होता है, लेकिन बाढ़ ने दोनों ही हसरतों पर पानी फेर दिया है. गुवाहाटी से आए विश्वदीप और संगीता ने बताया कि काफी निराशा हाथ लगी है, सोचा नहीं था कि गंगा में नौका विहार नहीं कर पाएंगे और एक घाट से दूसरे घाट पर घूम भी नहीं पाएंगे.