उन्नाव के बिहार थाना क्षेत्र के एक गांव में नाबालिग ने फांसी लगाकर जान दे दी है. घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम हाउस के बाह खड़े परिजनों का आरोप है कि उनकी बेटी के साथ रेप हुआ था. उसे न्याय नहीं मिला, इस कारण उसने आत्महत्या कर ली.
परिजनों का कहना है कि 27 जून को घर से लापता हुई थी. 29 जून को गांव के पास गंगा एक्सप्रेस वे के किनारे गंभीर हालत में मिली थी. तब उसने बताया था कि गांव के ही रहने वाले दो लड़के उसे कहीं ले गए थे और उसके साथ गलत काम किया. जब वह घर लौटी और थाने में पुलिस से इसकी कंप्लेन की तो पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार भी कर लिया था. फिर 7-8 दिन थाने में रखने के बाद पुलिस ने आरोपियो को छोड़ दिया.
परिजनों का कहना है कि न्याय नहीं मिलने पर ही बेटी ने फांसी लगाकर जान दे दी. लड़की कक्षा 7 में पढ़ती थी पर बीमारी के चलते वो फाइनल एग्जाम का पेपर नहीं दे पाई. पुलिस ने पीड़िता की तहरीर पर 363 और 366 की ही धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था.
इस घटना को लेकर उन्नाव पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगते हुए सपा कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है. सपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि नाबालिग बच्ची का दो लड़कों ने अपहरण कर लिया और उसके बाद उसके साथ दुष्कर्म किया. वहीं पुलिस ने इसे साधारण मामला लिख लिया. जबकि यह पॉक्सो का मामला था.
सीओ बीघापुर ऋषिकांत शुक्ला ने बताया कि थाना बिहार के ग्राम नया खेड़ा में एक 15 साल की युवती ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. मृतक लड़की की मां ने 30 जून को गांव के लड़कों के विरुद्ध युवती को बहला फुसलाकर भगा ले जाने के संबंध में एक मुकदमा पंजीकृत कराया था. पीड़िता ने बताया था कि मेरे साथ किसी ने कोई अप्रिय घटना नहीं की है और नहीं मुझे कोई बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया था. मैं स्वेच्छा से से गई थी और स्वेच्छा से ही वापस आई हूं. इसके बाद न्यायालय में भी 164 सीआरपीसी के बयान के दौरान भी लड़की ने बताया था कि मेरे साथ कोई गलत काम नहीं हुआ है.