
अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. सदियों लंबे इंतजार के बाद रामलला भव्य मंदिर में विराजे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, संघ प्रमुख मोहन भागवत इस आयोजन के दौरान गर्भगृह में मौजूद थे. पीएम मोदी, सीएम योगी और मोहन भागवत समेत गर्भगृह में मौजूद सभी ने रामलला की विधिवत पूजा-अर्चना की और इसके बाद सभी मंदिर परिसर में ही बनाए गए मंच पर पहुंचे और आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान सीएम योगी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में विपक्ष पर हमला बोला. वहीं, पीएम मोदी ने बस इशारा भी किया. मोहन भागवत ने पीएम मोदी को तपस्वी बताया और मिल-जुलकर रहने का मंत्र भी दिया.
ये भी पढ़ें- 'न्यायपालिका ने न्याय की लाज रख ली', राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर PM मोदी बोले
इशारों-इशारों में विपक्ष को कठघरे में खड़ा कर गए पीएम मोदी
रामलला की प्राण पतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने जब बोलना शुरू किया, सधे अंदाज में शुरुआत की. पीएम मोदी ने इशारों-इशारों में विपक्ष को कठघरे में खड़ा किया तो साथ ही न्यायपालिका और संविधान का जिक्र करते हुए सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं, भविष्य का विजन भी सामने रखा. पीएम मोदी ने राम मंदिर के लिए 500 साल के संघर्ष का जिक्र किया, वियोग की बात की और रामलला से क्षमा याचना की. पीएम ने राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाने से लेकर संविधान के पहले पन्ने पर राम की तस्वीर होने और लंबी कानूनी लड़ाई का भी जिक्र किया.

उन्होंने जब यह कहा कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी कहने वालों से कहना चाहूंगा कि यहां आएं और अनुभव करें, राम आग नहीं ऊर्जा हैं. तब यह भी किसी का नाम लिए बिना विपक्ष पर वार की ही तरह था. यूपीए सरकार के समय रामसेतु को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे को लेकर बीजेपी, कांग्रेस को घेरती रही है.
ये भी पढ़ें- 'मंदिर वहीं बना है, जहां का संकल्प लिया था', प्राण प्रतिष्ठा के बाद CM योगी का सिंहनाद
राम को राष्ट्र और विश्व बंधुत्व से जोड़ गए पीएम
पीएम ने देव को देश और राम को राष्ट्र से भी जोड़ा. सागर से सरयू तक की यात्रा का जिक्र करते हुए पीएम ने जब यह कहा कि राम भारत का आधार हैं, विचार हैं, विधान हैं, चेतना हैं, चिंतन हैं तो यह विपक्ष के लिए नसीहत की तरह भी था. विपक्षी दलों ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से दूरी बना ली थी. बीजेपी ने राम जन्मभूमि आंदोलन के जरिए ही दो से 303 सीट सांसदों तक का सफर पूरा किया. शायद इसीलिए पीएम ने राम को प्रवाह, प्रभाव, भारत का चिंतन, भारत का प्रताप और बताया.

पीएम राम को नीति बता, निषाद राज के साथ उनकी मित्रता का जिक्र कर जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सिद्धांत, अंतिम व्यक्ति के कल्याण को लक्ष्यकर काम करने का, समानता का संदेश दे गए तो साथ ही शबरी के विश्वास पर विकसित भारत का संकल्प भी जता गए. पीएम मोदी ने राम मंदिर के बाद क्या? अपने संबोधन में इसका भी खाका सामने रखा. उनका यह कहना कि 'ये हमारे विजय का ही नहीं, विनय का दिन भी है', इस बात के स्पष्ट संदेश की तरह है कि अब बीजेपी 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के नारे पर बढ़ेगी. संबोधन की शुरुआत और समापन सियावर रामचंद्र की जय के साथ करना भी इसी का संकेत माना जा रहा है.
विपक्ष पर योगी की पॉलिटिकल स्ट्राइक
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर यूपी के सीएम योगी का आक्रामक अंदाज नजर आया. सीएम योगी ने नाम लिए बगैर विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कारसेवकों पर फायरिंग का उल्लेख नहीं किया लेकिन जब वह ये कहते हैं कि अयोध्या की गलियों में गोलियां नहीं, अब रामनाम संकीर्तन गुंजायमान होगा. सरयू रक्तरंजित नहीं होंगी, अब क्रूज चलेगा तो उनका संकेत उसी घटनाक्रम की ओर होता है. कर्फ्यू के कहर और परिक्रमा के मार्ग में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी, यह बात कर योगी लॉ एंड ऑर्डर के मोर्चे पर सरकार की सख्ती का संदेश भी दे गए.

सीएम योगी के संबोधन में विपक्ष पर वार था, सख्त लॉ एंड ऑर्डर का संदेश था तो साथ ही रामराज्य की परिकल्पना भी थी और आपसी समावेशी समाज की परिकल्पना भी. सीएम योगी ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि मंदिर वहीं बना है, जहां बनाने की सौगंध ली थी और यह भी कहा कि अवधपुरी में रामलला का विराजमान होना भारत में रामराज्य की स्थापना की उद्घोषणा है. उन्होंने रामचरितमानस की चौपाई 'सब नर करहीं परस्पर प्रीती, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति' का उल्लेख कर बंधुत्व का संदेश भी दिया.
मोहन भागवत ने दिया मिल-जुलकर चलने का संदेश
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही यह कहा कि जहां जोश की बात होती है, हमें हमेशा होश की बात करने के लिए कह दिया जाता है. उन्होंने अयोध्या का अर्थ बताया और रामराज्य का भी. सबके मूल में एक संदेश था- आपसी द्वंद छोड़ने और मिल-जुलकर चलने का, भारत को विश्व गुरु बनाने का संदेश.
बड़ा मंच, बड़ा मौका और सबके संबोधन का सार क्या
राम मंदिर आंदोलन बीजेपी की स्थापना के समय से ही पार्टी की सियासत का आधार रहा है. जिस मुद्दे को लेकर पार्टी ने दो से 300 पार लोकसभा सीटों का सफर तय किया, अकेले दम पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पाई, उस मुद्दे की परिणीति का मौका भी बड़ा था. लोकसभा चुनाव करीब हैं और बीजेपी ने इस मौके को और बड़ा बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले पूजित अक्षत कलश यात्रा हो, अक्षत वितरण अभियान हो या प्राण प्रतिष्ठा के बाद गांव-गांव, घर-घर दिवाली और धार्मिक स्थलों पर धार्मिक आयोजन, बीजेपी की कोशिश अब चार सौ लोकसभा सीटों का आंकड़ा पार कर नया रिकॉर्ड बनाने की है. बीजेपी की यह रणनीति पीएम मोदी, सीएम योगी और संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधनों में भी झलकती है. सभी के संबोधन में आस्था की बात थी तो बंधुत्व का संदेश, रामराज्य की परिकल्पना और विकास का खाका भी था.