रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने भगवान श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप ही कार्रवाई की. अयोध्या में राम मंदिर परिसर के अन्नपूर्णा मंदिर में धर्मध्वजा फहराने और रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने राम मंदिर आंदोलन को भविष्य की नींव रखने वाला एक महान आख्यान बताया.
राजनाथ सिंह ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं ने बार-बार सनातन परंपराओं को मिटाने की कोशिश की, लेकिन आज राम मंदिर पर लहराता भगवा ध्वज सभ्यतागत निरंतरता का संदेश देता है. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान राम विनम्र, मर्यादित और करुणामय हैं, लेकिन जब अधर्म का नाश आवश्यक होता है, तो वे दुष्टों का संहार भी करते हैं. उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने भी भगवान राम से यही प्रेरणा ली.”
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि जिस तरह भगवान राम का उद्देश्य रावण का वध नहीं बल्कि अधर्म का अंत था, उसी तरह भारत का लक्ष्य आतंकवाद और उसके संरक्षकों को सख्त लेकिन संतुलित कार्रवाई के जरिए सबक सिखाना था. उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत संघर्ष की स्थिति में भी मर्यादा का पालन करता है.
राम जन्मभूमि आंदोलन पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े सामाजिक आंदोलनों में से एक रहा है, जो सदियों तक चला. इस आंदोलन के दौरान संतों, साधुओं और श्रद्धालुओं को गोलियां खानी पड़ीं, गिरफ्तारियां झेलनी पड़ीं और दमन का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, “इतिहास गवाह है कि समय सबको न्याय देता है. जो राम और धर्म के साथ खड़े रहे, वे आज भी देश की सेवा कर रहे हैं.”
उन्होंने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ को गहरे आध्यात्मिक संतोष का क्षण बताया और कहा कि रामलला को उनके भव्य मंदिर में विराजमान देखना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मूर्ति की स्थापना नहीं थी, बल्कि भारतीय समाज के मन-मस्तिष्क में एक आध्यात्मिक पुनर्जागरण था.
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे. राजनाथ सिंह ने कहा कि डबल इंजन सरकार के नेतृत्व में अयोध्या अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रही है और यह शहर अब वैश्विक धार्मिक पर्यटन का केंद्र बन चुका है, जो भारत की सभ्यतागत गौरव का प्रतीक है.