लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) से जुड़े यौन शोषण और कथित धर्मांतरण की कोशिश के गंभीर मामले में आरोपी डॉक्टर रमीज मलिक की तलाश तेज कर दी गई है. लखनऊ पुलिस ने इस मामले को लेकर अपनी जांच का दायरा और व्यापक कर दिया है. आरोपी की गिरफ्तारी के लिए गठित पुलिस टीमें लगातार संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं, लेकिन फिलहाल डॉक्टर रमीज मलिक पुलिस की पकड़ से बाहर है.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आरोपी डॉक्टर रमीज मलिक की आखिरी लोकेशन उत्तराखंड के खटीमा क्षेत्र में ट्रेस की गई थी. इसी इनपुट के आधार पर लखनऊ पुलिस की एक टीम उत्तराखंड भेजी गई थी, लेकिन वहां कई दिनों तक तलाश और पूछताछ के बावजूद पुलिस को कोई ठोस सुराग नहीं मिला. आरोपी का मोबाइल फोन बंद बताया जा रहा है, जिसके चलते उसकी लोकेशन ट्रेस करने में तकनीकी दिक्कतें सामने आ रही हैं.
उत्तराखंड में तलाश, पर खाली हाथ लौटी पुलिस
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, रमीज मलिक के संभावित ठिकानों को खंगालने के लिए खटीमा और आसपास के इलाकों में सघन तलाशी अभियान चलाया गया. पुलिस ने आरोपी के परिजनों से भी पूछताछ की, लेकिन परिवार की ओर से कोई ठोस जानकारी नहीं दी जा सकी. परिजनों ने पुलिस को बताया कि रमीज उनसे भी संपर्क में नहीं है और उन्हें उसके मौजूदा ठिकाने की कोई जानकारी नहीं है.
पुलिस ने बदली रणनीति
उत्तराखंड से खाली हाथ लौटने के बाद पुलिस ने रणनीति बदली है. अब आरोपी की गिरफ्तारी के लिए कुल तीन अलग-अलग पुलिस टीमें गठित की गई हैं, जो उत्तर प्रदेश और अन्य संभावित राज्यों में समानांतर रूप से कार्रवाई कर रही हैं. पुलिस का कहना है कि आरोपी के संपर्कों, बैंक लेनदेन, सोशल मीडिया गतिविधियों और पुराने कॉल रिकॉर्ड्स की भी बारीकी से जांच की जा रही है.
पहली कथित शादी की जांच में भी नहीं मिला सुराग
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि आरोपी डॉक्टर रमीज मलिक की एक कथित पहली शादी की बात सामने आई थी. इस इनपुट पर नोएडा पुलिस की एक टीम संबंधित महिला के पास पहुंची और उससे पूछताछ की. हालांकि, महिला ने पुलिस को बताया कि उसे रमीज मलिक के वर्तमान ठिकाने या उसकी गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस ने महिला के बयान को दर्ज कर लिया है और अन्य तथ्यों से मिलान किया जा रहा है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मामले में किसी भी पहलू को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा. आरोपी की गिरफ्तारी के बाद ही पूरे नेटवर्क और आरोपों की परतें पूरी तरह खुल पाएंगी. फिलहाल पुलिस तेजी से जांच को आगे बढ़ा रही है और आरोपी की तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है.
केजीएमयू डॉक्टर्स एसोसिएशन ने उठाए गंभीर सवाल
इस पूरे मामले को लेकर कुछ दिन पहले केजीएमयू डॉक्टर्स एसोसिएशन ने विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद से मुलाकात की थी. 24 दिसंबर को हुई इस बैठक में एसोसिएशन ने विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने कई गंभीर आरोप रखे और तत्काल कार्रवाई की मांग की. एसोसिएशन का कहना है कि यह मामला केवल एक छात्रा के साथ कथित यौन शोषण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़े और संगठित नेटवर्क की आशंका भी नजर आ रही है.
डॉक्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, पीड़ित छात्रा ने अपने ही विभाग के रेजिडेंट डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. छात्रा की शिकायत के सामने आने के बाद ही यह पूरा मामला सार्वजनिक हुआ. एसोसिएशन का दावा है कि शिकायत के बाद छात्रा पर दबाव बनाने की कोशिश भी की गई, ताकि वह अपने आरोपों से पीछे हट जाए.
धर्मांतरण नेटवर्क का आरोप
डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बैठक में यह भी आरोप लगाया कि केजीएमयू में कुछ लोग छात्रों और कर्मचारियों को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं. एसोसिएशन का दावा है कि पैथोलॉजी विभाग के एचओडी को इस कथित धर्मांतरण नेटवर्क का मुख्य सरगना बताया गया है. आरोप है कि विभाग की पैथोलॉजी लैब में गुपचुप तरीके से धार्मिक तकरीरें करवाई जाती थीं और छात्रों को प्रभावित करने का प्रयास किया जाता था. हालांकि, इन आरोपों की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन विश्वविद्यालय परिसर में इन दावों के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया है. कई डॉक्टर और कर्मचारी इस मामले को बेहद संवेदनशील बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं.
छात्रा पर दबाव बनाने के आरोप
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रमीज मलिक पर आरोप लगाने वाली छात्रा पर मानसिक दबाव बनाने की बात भी सामने आई है. आरोप है कि शिकायत के बाद कुछ लोगों ने छात्रा को चुप रहने या बयान बदलने के लिए अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाला. डॉक्टर्स एसोसिएशन ने इस मुद्दे को भी गंभीरता से उठाया और मांग की कि जांच पूरी होने तक ऐसे सभी लोगों को प्रक्रिया से अलग रखा जाए, जिन पर दबाव बनाने या जांच प्रभावित करने का संदेह है.
प्रशासन ने निष्पक्ष जांच का दिया भरोसा
इन गंभीर आरोपों के बीच केजीएमयू प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि पूरे मामले की निष्पक्ष और गहन जांच की जाएगी. कुलपति प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने डॉक्टर्स एसोसिएशन को आश्वस्त किया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और जांच को पूरी पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा. प्रशासन की ओर से यह भी कहा गया है कि जिन अधिकारियों या कर्मचारियों पर जांच को प्रभावित करने या किसी पर दबाव बनाने का संदेह है, उन्हें जांच प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा. विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि संस्थान की प्रतिष्ठा और छात्रों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
पुलिस और प्रशासन की दोहरी चुनौती
एक ओर जहां पुलिस के सामने आरोपी डॉक्टर रमीज मलिक की गिरफ्तारी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर केजीएमयू प्रशासन के लिए संस्थान के भीतर लगे गंभीर आरोपों की निष्पक्ष जांच भी उतनी ही अहम है. यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था से जुड़ा है, बल्कि एक प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान की कार्यसंस्कृति और आंतरिक निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले की तस्वीर और साफ हो सकेगी. फिलहाल सभी पहलुओं पर जांच जारी है और जल्द ही इस मामले में महत्वपूर्ण खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है.