बहराइच पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड में कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर और सलामी दिए जाने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं. वीडियो वायरल होते ही मामला पुलिस मुख्यालय तक पहुंचा और अब इस पूरे प्रकरण पर एसपी से जवाब मांगा गया है, वहीं दूसरी ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और भीम आर्मी चीफ व सांसद चंद्रशेखर सहित कई विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है.
आमतौर पर यह सम्मान संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों या विशेष आधिकारिक अवसरों पर ही दिया जाता है, लेकिन एक कथावाचक को इस तरह का सम्मान दिए जाने से पुलिस प्रोटोकॉल, प्रशासनिक मर्यादा और नियमों के पालन पर बहस छिड़ गई है. जानकारी के अनुसार, बीते दिनों बहराइच पुलिस लाइन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी के आगमन पर पुलिस बल ने परेड की और सलामी दी. यह पूरा दृश्य राजकीय या संवैधानिक पदाधिकारी के स्वागत जैसा प्रतीत हुआ. कार्यक्रम के दौरान लिए गए वीडियो और तस्वीरें जैसे ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर साझा की गईं, वैसे ही इस आयोजन की वैधता और औचित्य पर सवाल उठने लगे.
डीजीपी ने लिया संज्ञान
मामला सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने इस पर संज्ञान लिया. डीजीपी ने पुलिस परेड ग्राउंड के उपयोग और सलामी दिए जाने की प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई और बहराइच के पुलिस अधीक्षक राम नयन सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया. पुलिस मुख्यालय की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि पुलिस परेड ग्राउंड का उपयोग केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासनात्मक गतिविधियों और निर्धारित आधिकारिक समारोहों के लिए ही किया जा सकता है. इसके अलावा किसी अन्य उद्देश्य से इसका उपयोग नियमों के विरुद्ध माना जाएगा.
अखिलेश यादव ने पूछे सवाल
प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इस मामले में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप लगने शुरू हो गए. समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा कि जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा. उप्र में पुलिस अपने काम में तो नाकाम है, उसका जो काम है वो तो कर नहीं रही है बल्कि अपनी सीमित क्षमताओं को और जगह व्यर्थ कर रही है. भाजपा राज में उप्र में पनप रहे बेतहाशा अपराध और माफ़िया राज पर लगाम लगाने की बजाय सलाम-सलाम का खेल खेला जा रहा है. इस घटना का संज्ञान लेनेवाला कोई है या वो भी परेड में शामिल है. भाजपा जाए तो पुलिस सही काम में लग पाए!
चंद्रशेखर ने भी उठाए सवाल
भीम आर्मी चीफ और सांसद चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि 'भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है. और राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं. इस स्पष्ट उल्लेख के बावजूद एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा परेड और सलामी (Guard of Honour) दी जाती है. यह सिर्फ़ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला है. सलामी और परेड राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक होती है. यह सम्मान संविधान, राष्ट्र और शहीदों के नाम पर दिया जाता है. किसी कथावाचक, बाबा या धर्मगुरु का रुतबा बढ़ाने के लिए नहीं '. चंद्रशेखर ने आगे लिखा है कि 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित रामराज्य में अब हालात ये हैं कि आस्था को संविधान से ऊपर,धर्म को कानून से ऊपर और कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा है. यह घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन अब संविधान के प्रति जवाबदेह नहीं, बल्कि धार्मिक सत्ता के आगे नतमस्तक है. यह एक ख़तरनाक परंपरा की ओर इशारा करता है, जहाँ राज्य धीरे-धीरे अपने संवैधानिक चरित्र को त्याग रहा है. सवाल उठते है पुंडरीक गोस्वामी हैं कौन?, वे कौन-सा संवैधानिक पद धारण करते हैं?, किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें Guard of Honour दिया गया?, क्या अब उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल है?'
बहराइच पुलिस ने ये दी सफाई
पुलिस प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को कठिन मानसिक, शारीरिक परिश्रम के कारण मानसिक अवसाद उत्पन्न होने से जनपद में विभिन्न कारणों से 28 पुलिसकर्मियों द्वारा पुलिस सेवा से त्याग पत्र दिया गया. पुलिस कर्मियों में प्रशिक्षण के परिश्रम से मानसिक अवसाद उत्पन्न न हो और उनका मनोबल उच्च स्तर का बना रहे इसके निमित्त योग, ध्यान और काउंसिलिंग के प्रभावी तरीकों के माध्यम से पुलिस लाइन्स बहराइच में प्रशिक्षुओं में चरित्र निर्माण एवं कर्तव्य निष्ठा की प्रेरणा प्रदान करने और मानसिक अवसाद की समस्या के निवारण हेतु समय-समय पर योग एवं प्रेरणास्पद उद्बोधन कराया जाता है, जिसके क्रम में आचार्य पुंडरीक गोस्वामी जी को उद्बोधन हेतु आमंत्रित किया गया था. आचार्य जी द्वारा कर्तव्य बोध और विषम परिस्थितियों में चरित्रवान होकर राष्ट्र सेवा के कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहने के विषय में प्रदत्त नैतिक उद्बोधन, अवसाद निवारण करने वाला और प्रेरणास्पद रहा एवं प्रशिक्षु पुलिस कर्मियों हेतु प्रेरणादायी भी सिद्ध हुआ. नैतिक उद्बोधन से पुलिस प्रशिक्षणार्थियों के मनोबल में गुणात्मक वृद्धि दृष्टिगत है.