आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. SC के हालिया फैसले के बाद अब गाजियाबाद नगर निगम इसे लागू करने की तैयारी में जुट गया है. निगम अधिकारियों का कहना है कि आदेश की प्रति मिलते ही इसे अमल में लाया जाएगा. हालांकि इसके लिए जरूरी संसाधन जुटाना निगम के लिए बड़ी चुनौती होगी.
नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनुज कुमार के मुताबिक, फिलहाल शहर में दो एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर संचालित हैं, जहां रोजाना करीब 50 कुत्तों का स्टेरलाइजेशन किया जाता है. उन्हें दो-तीन दिन तक सेंटर में रखने के बाद उनके मूल स्थान पर छोड़ दिया जाता है. लेकिन जानकारों का कहना है कि गाजियाबाद में 50 हजार से ज्यादा स्ट्रीट डॉग्स मौजूद हैं, जिन्हें एक जगह रखकर प्रबंधन करना बेहद कठिन कार्य होगा.
इस बीच, गाजियाबाद में कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और अब सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले हैं. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जनवरी 2022 से जुलाई 2025 तक यानी करीब 3 साल 7 महीने में 3,07,000 लोग डॉग बाइट का शिकार हुए. यह आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों में दर्ज मामलों का है.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) अखिलेश मोहन के अनुसार, ये मामले जिले के 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), 3 जिला अस्पताल, 2 पचास-बेड अस्पताल और अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में दर्ज हुए हैं. हालांकि, जिले में डॉग बाइट्स की वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में भी इलाज कराते हैं.
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि औसतन रोज करीब 250 डॉग बाइट के मामले सामने आते हैं. इनमें तीसरी डोज लेने वाले मरीज भी शामिल होते हैं. गंभीर मामलों में ज्यादातर हमले स्ट्रीट डॉग्स के होते हैं. वहीं, घर में पाले गए कुत्तों का समय-समय पर वैक्सीनेशन कराने से रेबीज़ का खतरा काफी कम हो जाता है.
सीएमओ ने सलाह दी कि कुत्ते के काटने को हल्के में ना लें और तुरंत नज़दीकी अस्पताल जाकर वैक्सीन लगवाएं, ताकि संक्रमण और रेबीज जैसी गंभीर बीमारी से बचाव हो सके.