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बृजलाल, असीम अरुण, विजय कुमार के बाद प्रेम प्रकाश, दलित अफसरों को जोड़कर विपक्षी घेराबंदी का जवाब दे रही BJP!​

प्रेम प्रकाश, विजय कुमार, असीम अरुण और बृजलाल, ये वो नाम हैं जिनकी बसपा सरकार में तूती बोलती थी. ये सभी अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इन अफसरों के नौकरी के दौरान दलित एजेंडा पर काम करने और बहुजन मिशन को आगे बढ़ाने के कई विवाद भी सामने आए.

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प्रेम प्रकाश, असीम अरुण और बृजलाल
प्रेम प्रकाश, असीम अरुण और बृजलाल

राजनीति में हवा का रुख भांपने में भले ही कोई कितना भी सियासी पंडित होने का दावा करे लेकिन नौकरशाहों से बढ़कर कोई नहीं होता. हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व पुलिस अधिकारी प्रेम प्रकाश इसका जीता जागता उदाहरण है. ऐसा नहीं कि प्रेम प्रकाश पहले अफसर हैं जिन्होंने चुनावी माहौल में बीजेपी ज्वॉइन की है. 

प्रेम प्रकाश से पहले, हाल ही में रिटायर हुए पूर्व डीजीपी विजय कुमार भी भाजपाई हो चुके हैं. 2022 के चुनाव में कानपुर के पुलिस कमिश्नर रहे असीम अरुण भाजपाई हुए और उनसे पहले बृजलाल. ये वो अफसर हैं जो कभी मायावती सरकार के पसंदीदा होते थे और दलित एजेंडा के पैरोकार होते थे लेकिन आज ये बीजेपी के साथ हैं. एडीजी से रिटायर हुए प्रेम प्रकाश की बीजेपी में एंट्री उस दौर में हुई है जब विपक्षी गठबंधन संविधान बदलने के मुद्दे पर बीजेपी पर हमलावर है. 

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बसपा सरकार में बोलती थी इन अधिकारियों की तूती

प्रेम प्रकाश से पहले निवर्तमान डीजीपी विजय कुमार ने बीजेपी ज्वाइन की थी. प्रेम प्रकाश, विजय कुमार, असीम अरुण और बृजलाल, ये वो नाम हैं जिनकी बसपा सरकार में तूती बोलती थी. इन अधिकारियों के नौकरी के दौरान दलित एजेंडा पर काम करने और बहुजन मिशन को आगे बढ़ाने के कई विवाद भी सामने आए. 35 से 40 साल जनता के बीच में रहने के कारण अमूमन सत्ता के रणनीतिकार इन्हीं अधिकारियों के जरिए ग्राउंड का फीडबैक लेते हैं. 

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अधिकारियों के जरिए ही सरकारी योजना हो या पार्टी के लिए पब्लिक में इमेज,सबका इनपुट लिया जाता रहा है. ऐसे में जब संविधान को बदलने और आरक्षण को खत्म करने के मुद्दे पर इंडिया ब्लॉक बीजेपी को लगातार घेर रहा है और बीजेपी को दलित विरोधी बताकर बीएसपी के दलित वोट को अपने खेमे में करने की कोशिश जुटा है, ऐसे समय में बीजेपी की तरफ से लगातार ये अधिकारी आगे आ रहे हैं. प्रेम प्रकाश, विजय कुमार, असीम अरुण या फिर बृजलाल जैसे अफसरों का बीजेपी के साथ खड़े होना उन दलित वोट बैंक को संदेश देने की कोशिश है कि दलित बीजेपी के साथ हैं. 

बीजेपी में दिख रहा फायदा

जो अफसर कल तक दलितों के बीच संविधान और बाबा साहब अंबेडकर की बातों को पहुंचा रहे थे वही अफसर अब बीजेपी के साथ खड़े हैं. नौकरी के बाद सियासत में दूसरी पारी शुरू करने वाले इन अफसरों को मिली कुर्सी भी रिटायरमेंट के बाद नौकरशाहों को लुभा रही है. बृजलाल ने बीजेपी ज्वाइन की तो पार्टी ने पहले उन्हें उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया फिर राज्यसभा सांसद बनाया. 

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असीम अरुण ने कानपुर पुलिस कमिश्नर रहते इस्तीफा दिया तो उन्हे कन्नौज से 2022 का चुनाव लड़वाया और फिर उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण मंत्री बनाया है. प्रेम प्रकाश ने बीजेपी ज्वाइन की तो साफ कहा कि देश को समृद्ध बनाने के एजेंडे पर सिर्फ बीजेपी कम कर रही है. 2047 में देश को विकसित राष्ट्र बनाने की विचारधारा पर बीजेपी चल रही है. ऐसे में समाज के हर वर्ग की सहभागिता होना जरूरी है. देश समृद्ध होगा तो समाज का हर वर्ग समृद्ध होगा. समृद्धि किसी एक जाति, धर्म, सम्प्रदाय में नहीं आती है. देश समृद्ध होता है तो प्रत्येक व्यक्ति समृद्ध होता है.

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