बिजनौर जिले के गंगा खादर क्षेत्र में स्थित मोहनपुर गांव इन दिनों बड़े बदलाव का सामना कर रहा है. लगभग आठ से दस परिवारों वाला यह छोटा सा गांव अब लगभग खाली होने की कगार पर है. वजह यह है कि ग्रामीणों के पक्के मकान वन विभाग की आरक्षित वनभूमि पर बने हुए थे, जिन्हें अवैध निर्माण बताया गया है. विभाग की ओर से समझाइश और कानूनी कार्रवाई के बाद ग्रामीणों ने खुद अपने घरों को तोड़ना शुरू कर दिया है.
ग्रामीणों के लिए यह फैसला काफी दर्दनाक साबित हुआ. कई लोगों ने अपने खून पसीने की कमाई से बने पक्के मकानों पर खुद हथौड़ा चलाते हुए भावुक होकर आंखें पोंछीं. टीम की मौजूदगी में मकानों को तोड़ने और क्षेत्र को खाली कराने की प्रक्रिया लगातार जारी है. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार मोहनपुर आरक्षित वनखंड में कुछ परिवार पिछले करीब 40 वर्षों से रह रहे थे.
ग्रामीणों ने पक्के मकानों पर खुद हथौड़ा चलाया
विभाग का कहना है कि गंगा पार सेंचुरी क्षेत्र में स्थित वनभूमि पर न सिर्फ मकान बने थे बल्कि परिवार खेती भी कर रहे थे. वन रेंजर की जानकारी के अनुसार करीब चार हजार बीघा विभागीय भूमि को कब्जामुक्त कराया जाना है, जिनमें से सैकड़ों बीघा पर मोहनपुर के इन परिवारों का कब्जा पाया गया. ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन वहां केस हार जाने के बाद विभाग और ग्रामीणों के बीच समझौता किया गया.
गांव वालों ने मकान खाली करने की प्रक्रिया शुरू की
समझौते के बाद सभी परिवारों ने स्वयं अपने मकानों को खाली कर तोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. वन विभाग का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और जल्द ही पूरी भूमि कब्जामुक्त कर विभागीय नियंत्रण में ले ली जाएगी. कभी दर्जनों परिवारों वाला मोहनपुर गांव अब धीरे-धीरे खाली बसावट में बदलता जा रहा है.