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पुल की अदावत या ठाकुर वर्चस्व की जंग? यूपी में मंत्री दयाशंकर और विधायक उमाशंकर क्यों भिड़ गए हैं

यूपी के बलिया जिले के दो ठाकुर नेता एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल दिए हैं. योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह और बसपा विधायक उमा शंकर सिंह के बीच सियासी अदावत छिड़ गई है. दोनों ही नेता एक दूसरे के खिलाफ अभियान छेड़ रहे हैं, जिसे लेकर कई तरह से सवाल खड़े होने लगे हैं.

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योगी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह और बीएसपी विधायक उमा शंकर सिंह में छिड़ा संग्राम (Photo-ITG)
योगी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह और बीएसपी विधायक उमा शंकर सिंह में छिड़ा संग्राम (Photo-ITG)

उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तपिश बढ़ने के साथ-साथ सियासी अदावत भी तेज होती जा रही है. योगी सरकार के दिग्गज मंत्री और विधायक दयाशंकर सिंह की बसपा विधायक उमाशंकर सिंह से सियासी जंग छिड़ गई है. दोनों नेता भले ही अलग-अलग दलों से हों, लेकिन एक ही जिले बलिया और एक ही जाति ठाकुर समाज से आते हैं. ऐसे में बलिया जिले के एक नवनिर्मित पुल को लेकर दोनों के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग अब सियासी अदावत में बदलती नजर आ रही है.

बलिया जिले के कटहरनाला में नवनिर्मित पुल को लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों ने आवागमन के लिए मंगलवार देर शाम खोल दिया. इस बात की जानकारी जब परिवहन मंत्री व बलिया सदर विधायक दयाशंकर सिंह को मिली तो उन्होंने बलिया पहुंचकर पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता को सार्वजनिक रूप से जमकर फटकार लगाई और खूब खरी-खोटी सुनाने का काम किया.

दयाशंकर ने इस बात की शिकायत ऊपर (मुख्यमंत्री) तक करने की चेतावनी दी और बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया. इसके बाद बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दयाशंकर सिंह को नसीहत देने के साथ सख्त चेतावनी दे डाली. इसके बाद दयाशंकर सिंह बनाम उमाशंकर सिंह की सियासी अदावत की चर्चा बलिया जिले में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में होने लगी है.

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दयाशंकर सिंह की नाराजगी की वजह
योगी सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह बलिया से आते हैं और जिले की सदर सीट से विधायक हैं. साल 2022 में पहली बार दयाशंकर सिंह चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. यूपी सरकार में परिवहन मंत्री बनने के बाद से दयाशंकर सिंह बलिया जिले में अपना राजनीतिक प्रभाव जमाने की कवायद कर रहे हैं. ऐसे में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने उन्हें भनक लगे बिना कटहरनाला में बने पुल को आवागमन के लिए खोल दिया तो उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और फौरन बलिया पहुंच गए.

दयाशंकर सिंह ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को खरी-खोटी सुनाने के साथ-साथ कहा कि अधिकारी जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने अधिकारियों पर बलिया के रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के इशारों पर काम करने का भी परोक्ष आरोप लगाया. उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "क्या तुम्हें (अधिकारी को) बसपा से टिकट मिलने वाला है? या विधायक जी (उमाशंकर सिंह) टिकट दिलवाने का ठेका लिए हैं." पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को फटकार लगाते हुए दयाशंकर का वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद बलिया की सियासत गरमा गई. 

उमाशंकर सिंह ने सुनाई खरी-खरी
दयाशंकर सिंह के पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों पर बसपा विधायक के इशारे पर काम करने के आरोप लगाए जाने के बाद रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह सामने आए. उन्होंने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दयाशंकर सिंह को नसीहत देते हुए कहा कि पहले देख लें कि वह किस बात की शिकायत कर रहे हैं. पुल नेशनल हाइवे का है, उन्हें भारत सरकार में जाकर बात करनी चाहिए कि ऐसा कैसे कर देंगे। उन्हें सोचना चाहिए कि ऐसा क्या है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है?

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उमाशंकर सिंह ने कहा कि पुल का उद्घाटन अगर मैं जाकर कर दिया होता तो बात समझ में आती. उन्होंने कहा कि वो मंत्री हैं, जिले में काम करें, मौका मिला है, जिले का विकास करें. बार-बार मौका नहीं मिलता है। अपनी कुछ प्रतिभा दिखाएं और मैं तो विपक्ष का विधायक हूं। मैं डेढ़ साल तो कहीं निकला नहीं, महीने-डेढ़ महीने पर अपने गांव ही आता हूं.यहां दो चार लोगों से मिलकर चला जाता हूं, उन्होंने मुझ पर निशाना क्यों साधा?

बसपा विधायक ने कहा कि हम अगर आरोप लगाने लगेंगे तो मंत्री (दयाशंकर) प्रमाण देने लगेंगे, कारनामों को उजागर करने लगेंगे तो फिर उन्हें कहीं छिपने की जगह नहीं मिलेगी. उमाशंकर ने कहा कि दयाशंकर ने जानबूझकर उनके इलाके रसड़ा क्षेत्र के विकास कार्यों को रोका है। मुख्यमंत्री तक से शिकायत करते हैं और काम रोकने की कोशिश करते हैं। मंत्री क्या-क्या करते हैं, अगर बताना शुरू कर दिया तो उन्हें मुश्किल हो जाएगी.

उमाशंकर सिंह बनाम दयाशंकर सिंह
उमाशंकर सिंह और दयाशंकर सिंह दोनों बलिया जिले से आते हैं और दोनों ही ठाकुर समुदाय से हैं. रसड़ा के विधायक उमाशंकर सिंह भले ही बसपा के एकमात्र विधायक हों, लेकिन अपने इलाके बलिया जिले में ठाकुरों की राजनीति पर गहरा असर रखते हैं. यूपी की उन चुनिंदा सीटों में से एक रसड़ा है, जहां पर बीजेपी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी। बीजेपी के उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहे थे. रसड़ा में ठाकुर समाज की पहली पसंद उमाशंकर सिंह बने थे। इससे समझा जा सकता है कि उनका बलिया जिले की सियासत में कैसा प्रभाव है.

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कटहरनाला पर पुल का बिना उद्घाटन का जब आवागमन शुरू हो गया तो दयाशंकर सिंह का गुस्सा फूट पड़ा. इस बात के लिए उन्होंने रसड़ा के विधायक उमाशंकर सिंह के इशारे पर अधिशासी अभियंता को काम करने वाला करार दिया तो उमाशंकर सिंह ने भी दयाशंकर को खुली चुनौती दे दी है कि अगर वो अपने पर आ गए तो उन्हें छिपने की जगह नहीं मिलेगी.

बलिया में ठाकुर वर्चस्व की जंग तो नहीं
बलिया की सियासत पर ठाकुरों का दबदबा रहा है. प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर बलिया से आते थे, वो भले ही समाजवादी नेता थे, लेकिन ठाकुर राजनीति के चेहरा माने जाते थे. चंद्रशेखर के बाद उनकी सियासी विरासत उनके बेटे नीरज शेखर ने संभाली और उनका अपना दबदबा लंबे समय तक रहा और फिलहाल बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं.

दयाशंकर सिंह और उमाशंकर सिंह बलिया से आते हैं। दोनों की राजनीतिक दल अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों नेता की ख्वाहिश जिले पर अपनी पकड़ बनाए रखने की है. ऐसे में बलिया में ठाकुर नेता अपनी-अपनी जोर आजमाइश करते रहे हैं. ऐसे में बेशक कटहर नाला का यह पुल महज एक बहाना हो लेकिन असली लड़ाई रसड़ा से लेकर बलिया के ठाकुर पॉलिटिक्स की है.

रसड़ा से विधायक उमाशंकर सिंह बेशक बसपा में हैं और मायावती के बेहद करीबी हैं, लेकिन उनकी उतनी ही निकटता मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मानी जाती है. यही नहीं, उमाशंकर सिंह एक बड़े ठेकेदार भी हैं. इसी वजह से दयाशंकर सिंह के निशाने पर उमाशंकर हैं, लेकिन वर्चस्व ठाकुर नेता बनने की जंग दोनों के बीच है.  

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