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कितना भी बढ़ जाए युमना का जल स्तर, ताजमहल में नहीं आ सकता पानी, ये है वजह

यमुना नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है, लेकिन ताजमहल के अंदर पानी नहीं पहुंचा है. कहा जा रहा है कि ताजमहल का जो डिजाइन है वो इस तरीके से बनाया गया था कि उसमें पानी का प्रवेश न हो पाए. ताजमहल के कंस्ट्रक्शन के समय ही इसकी व्यवस्था कर दी गई थी क्योंकि इस इमारत का निर्माण नदी किनारे हुआ था.

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प्रतीकात्मक फोटो.
प्रतीकात्मक फोटो.

देश की राजधानी दिल्ली में यमुना का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. वहीं, यूपी के आगरा में भी यमुना का पानी लोगों को डरा रहा है. मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर 497.20 फीट तक पहुंच गया था. ताजमहल के पीछे बने ताज व्यू पॉइंट पर भी यमुना नदी का पानी पहुंच गया था. लेकिन, ताजमहल के अंदर पानी नहीं आया.

कहा जा रहा है कि ताजमहल का जो डिजाइन है, वो इस तरीके से बनाया गया है कि उसमें पानी नहीं आता है. ताजमहल का जो स्ट्रक्चर है, उससे यमुना काफी नीचे बहती है. ताजमहल में प्रवेश करके देखते हैं, तो आपको नदी नजर नहीं आती है. नदी को देखने के लिए हमें स्ट्रक्चर के ऊपर चढ़ना पड़ता है.

ताजमहल का स्ट्रक्चर ऐसा बनाया गया था कि पानी का लेवल यदि बढ़ भी जाए, तो वो दीवार को टच करेगा. लेकिन अंदर नहीं आ पाएगा. क्योंकि पीछे ऊँची दीवार है. ताजमहल के कंस्ट्रक्शन के समय उसके डिजाइन पर अच्छी तरह से काम किया गया था.

सेसमिक जोन 4 में आता है ताजमहल

ताजमहल के फाउंडेशन को यमुना नदी को ध्यान में रखते हुआ बनाया गया था. ताकि ताजमहल की भव्यता बनी रहे. यमुना का किनारा दलदली इलाका है और ताजमहल सेसमिक जोन 4 में आता है, इसलिए इसके नीचे साल की लकड़ी के फ्रेम का इस्तेमाल किया गया था.

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ताजमहल परिसर में पानी आने की संभावना बेहद कम

खुदाई के दौरान साल की लकड़ी का फ्रेम भी मिला था. यह फ्रेम भूकंप के झटके को आसानी से सहन कर लेता है. साल की लकड़ी की खासियत यह है कि यदि वो पानी में भीगी रहती है, तो उसकी मजबूती कई वर्षों तक बनी रहती है. इस वजह से ताजमहल के परिसर में नदी का पानी आने की संभावना कम है. उस जमाने में और भी कई ऐसी इमारतें बनी थी जिसके चबूतरे में साल की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया था.

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