कल्पना कीजिए एक ऐसा देश, जहां गरीब होना किसी अपराध जैसा हो.स्विट्जरलैंड, जो यूरोप के सबसे समृद्ध देशों में से एक है, वहां सड़क पर कोई भिखारी या बेघर व्यक्ति नजर आना लगभग असंभव है. सरकार गरीबी को इतनी सख्ती से नियंत्रित करती है कि यह लगभग 'गायब' हो चुकी है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां न्यूनतम वेतन 4,000 यूरो (लगभग 4 लाख रुपया) है. बेरोजगारी की स्थिति में व्यक्ति को अपनी आखिरी सैलरी का 80 फीसद भत्ता मिलता है और अगर किसी ने सड़क पर सिगरेट का बट फेंक दिया, तो 300 यूरो (करीब 30,000 रुपया) का चालान तुरंत कट जाता है!
स्विट्जरलैंड में जो लोग 'गरीब' माने जाते हैं, उनके पास आमतौर पर एक घर होता है, दिन में तीन वक्त का खाना मिलता है और डॉक्टर के पास जाना भी संभव होता है. कई लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करते हैं और कभी-कभी कैफे में बैठकर कैप्पुचीनो का मजा भी लेते हैं.
स्विट्जरलैंड की ये तस्वीर दिखाता ये वीडियो वायरल है.
19वीं सदी से बना अनुशासन का मॉडल देश
यह व्यवस्था किसी रात में नहीं बनी.19वीं सदी से ही स्विट्जरलैंड ने सामाजिक सुरक्षा की मजबूत नींव रखी है.अगर कोई व्यक्ति अपना घर खो देता है, तो सरकार उसे नया आवास देती है.फेडरल हाउसिंग पॉलिसी के तहत 60 फीसदी आबादी को सब्सिडी वाले अपार्टमेंट मिलते हैं.स्वास्थ्य सेवाएं लगभग मुफ्त हैं और बेरोजगारों को मुफ्त करियर रिट्रेनिंग भी दी जाती है.
स्विस फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस के अनुसार, यहां गरीबी दर केवल 6.6% है और यह 'रिलेटिव पॉवर्टी' है, यानी यहां कोई भूखा नहीं सोता.