इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार 2025 का ऐलान हो गया है और एक बार फिर यह चर्चा का बड़ा विषय बन गया है. इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह सम्मान नहीं मिला, जबकि वे लंबे समय से इसके लिए खुलकर लॉबिंग कर रहे थे. यह प्रतिष्ठित पुरस्कार वेनेजुएला की लोकतंत्र समर्थक नेता मारिया कोरिना मचाडो के नाम घोषित किया गया.
मारिया कोरिना मचाडो को यह सम्मान उनके तानाशाही के खिलाफ संघर्ष और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए दिया गया है. वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली के लिए उनका लगातार प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है.
ट्रंप ने दावा किया कि आठ बड़े युद्धों को रोकने और इज़राइल-हमास के बीच शांति स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई. इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने इस साल की शुरुआत में दावा किया भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध को टाल दिया. इस तरह किए गए कई दावें ट्रंप ने किए, लेकिन इसके बावजूद उनके हाथ कुछ नहीं लगा. सोशल मीडिया पर भी इस बात के खूब मजे लिए गए. देखें कुछ मजेदार पोस्ट.
नोबेल कमेटी ने मारिया कोरिना मचाडो को यह पुरस्कार उनके वेनेजुएला की जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए अथक संघर्ष और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव के प्रयासों के लिए दिया है.
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
7 अक्टूबर 1967 को जन्मी मारिया कोरिना मचाडो पेशे से इंडस्ट्रियल इंजीनियर हैं और ‘वेंते वेनेजुएला’ पार्टी की नेता हैं. उन्होंने राजनीति में कदम रखा जब उन्होंने ‘सुमाते’ (Sumate) नामक एक नागरिक संगठन की सह-स्थापना की, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए काम करता है.
2010-2015 के चुनावों में वे नेशनल असेंबली की सदस्य चुनी गईं और सभी उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट पाने वाली नेता रहीं. 2011 से 2014 तक वे संसद में सक्रिय रहीं और तब से वेनेजुएला की विपक्षी राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बनी हुई हैं.