मौत पर किसी का वश नहीं है. इसे टाला नहीं सकता है. जब, जहां, जिसकी, जिस तरह से मृत्यु लिखी है, वो होकर रहेगा. ऐसे में अगर कहीं मौत को गैरकानूनी बना दिया जाए या फिर मरने पर रोक लगा दिया जाए, तो काफी अजीब होगा. लेकिन, कुछ शहरों में वाकई में ऐसे अजीबोगरीब कानून लागू हैं. जानते हैं ये शहर कहां हैं और यहां क्यों ऐसे नियम लागू किए गए.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, स्पेन के अण्डालूसिया के ग्रेनाडा प्रांत के एक छोटे से कस्बे लांजारोन में वहां के निवासियों का मरना गैरकानूनी है. जी हां, यह वास्तव में एक नियम है जिसे पूर्व मेयर जोस रुबियो ने 25 वर्ष पहले लागू किया था.
डेजरेट न्यूज के अनुसार , 1999 में, रुबियो ने एक घोषणापत्र जारी किया जिसमें लांजारोन के नागरिकों से आग्रह किया गया था कि वे अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखें ताकि उनकी मृत्यु तब तक न हो जब तक टाउन हॉल हमारे मृतकों के सम्मान में विश्राम करने के लिए जरूरी भूमि का अधिग्रहण करने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाता.
इस शहर में मरना गैरकानूनी है...
नीति को स्पष्ट करते हुए आदेश में कहा गया कि लंजारोन में मरना निषिद्ध है.उस समय की रिपोर्टों के अनुसार , मेयर पर स्थानीय कब्रिस्तान में भीड़भाड़ की समस्या को शीघ्रता से हल करने के लिए दबाव डाला जा रहा था. हालांकि, यह समस्या वर्षों से शहर को परेशान कर रही थी.
स्पेनिश शहर में कब्रिस्तानों में बढ़ रही भीड़भाड़ के कारण मेयर ने इस व्यंग्यात्मक कानून को लागू कर दिया कि यहां मरना गैरकानूनी है. रुबियो ने कहा था कि मैं तो बस एक मेयर हूं. मेरे ऊपर ईश्वर हैं, जो अंततः सब कुछ चलाते हैं.
इस शहर में है सिर्फ एक कब्रिस्तान
उस समय रुबियो ने कहा था कि सभी ने इस आदेश को हास्य की भावना से लिया है और इसका पालन करने की तीव्र इच्छा जताई. यह स्पष्ट नहीं है कि शहर को कभी विस्तारित कब्रिस्तान मिला या नहीं, लेकिन 26 साल बाद भी, लांजारोन में नगरपालिका सीमा के भीतर केवल एक ही कब्रिस्तान है.
शवों को दफनाने पर प्रतिबंध के अलावा, यह छोटी सी जगह पूरी तरह से एक सामान्य शहर है. यहां लगभग 4,000 लोगों का घर होने के कारण, यह एक हेल्दी डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है, जिसका श्रेय पास के खनिज-समृद्ध झरनों को जाता हैय
किसी शहर में इस तरह के कानून निश्चित रूप से मृत्यु के प्रति एक कठोर दृष्टिकोण है, लेकिन रुबियो ऐसा कदम उठाने वाले एकमात्र मेयर नहीं हैं. लंजारोन के अलावा नॉर्वे के लॉन्गयेरब्येन में भी वहां के निवासियों को मरने से मना किया गया है - और ऐसा 1950 से ही किया जा रहा है.
इस शहर में कब्र के अंदर नहीं सड़ते थे शव
दरअसल, 20वीं सदी में शोधकर्ताओं ने पाया कि लॉन्गयेरब्येन शहर में मृतक छह फीट गहरे गड्ढे में भी सुरक्षित थे. यानी, कब्र के अंदर शव बिलकुल भी नहीं सड़क रहा था. क्योंकि इस क्षेत्र की उप-आर्कटिक जलवायु ऐसा होने नहीं दे रही थी. अत्यधिक ठंड की वजह से शव जमीन के अंदर जस के तस थे.
वैज्ञानिकों ने जब वहां दफनाए गए शवों का परीक्षण किया तो 1917 के इन्फ्लूएंजा वायरस पाए गए. इस परीक्षण में वे शवों से वायरस के जीवित नमूने प्राप्त करने में सफल रहे. इस टेस्ट के परिणामस्वरूप, बीमारी फैलने की आशंका के कारण यहां के कब्रिस्तान को शवों को दफनाने के लिए बंद कर दिया गया है. यही वजह है कि इस शहर में मरने पर ही रोक लगा दी गई. क्योंकि यहां शव नहीं दफनाए जा सकते हैं.