क्या आपने कभी सोचा कि एलॉन मस्क जैसे अरबपति इतने सफल क्यों होते हैं. बिल गेट्स के पास इतना अपार धन और संसाधन कैसे आया. एक आम आदमी के पास भी 24 घंटे होते हैं और एक अरबपति के पास भी, लेकिन फर्क ये है कि अरबपति इन्हीं 24 घंटों में ऐसा क्या करते हैं कि वे कामयाब हो जाते हैं, जबकि आम आदमी अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में ही उलझा रहता है.
सवाल यह है कि क्या उनका दिमाग सचमुच अलग ढंग से काम करता है? हाल ही में न्यूरोलॉजिस्ट और लिमिटलेस ब्रेन लैब की संस्थापक डॉ. स्वेता आदातिया ने राज शमानी के पॉडकास्ट में इस विषय पर विस्तार से चर्चा की. राज शमानी ने अपने पॉडकास्ट में यह सवाल उठाया, सोशल मीडिया पर यह क्लिप वायरल हो गई. आइए जानते हैं, इस बातचीत में क्या-क्या सामने आया.
स्पार्क बनाता है कामयाब
कहते हैं कि किसी भी कामयाब इंसान में स्पार्क होना बेहद जरूरी है. डॉ. आदातिया के मुताबिक, किसी भी शख्स का दिमाग जेनेटिक्स (नेचर) और एनवायरनमेंट (नर्चर) से आकार लेता है. उनका कहना है कि जिनमें बचपन से चिंगारी होती है, वही आगे चलकर असाधारण बनते हैं. इसका मतलब है कि अरबपतियों की सोच को उनके जीन और बचपन का माहौल गढ़ता है, लेकिन यह अकेली वजह नहीं है.उनकी सफलता का असली इंजन है पर्पस. अरबपति अपने लक्ष्य पर अटल रहते हैं.
हार न मानने की क्षमता
डॉ. आदातिया कहती हैं कि अरबपति हार नहीं मानते. उनकी मेंटल स्ट्रेंथ (रेजिलिएन्स) और सहनशीलता (एन्ड्युरेन्स) उन्हें दूसरों से अलग बनाती है. वह इमोशनल डिटैचमेंट को भी बेहद अहम मानती हैं. अरबपति अपने पर्पस को आउटकम में बदलने में माहिर होते हैं. यानी नतीजे उनकी मर्जी के मुताबिक नहीं भी आए तो भी वो निराश नहीं होते. साथ ही, वे संतुष्टि को सफलता का सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं. डॉ. आदातिया के मुताबिक, जब आप सैटिस्फाइड हो जाते हैं, तो ग्रोथ रुक जाती है.
फ्रंटल कॉर्टेक्स की ताकत
अरबपतियों के दिमाग का फ्रंटल कॉर्टेक्स सामान्य लोगों से कहीं ज्यादा एक्टिव होता है. दिमाग का यही हिस्सा इंसान की निर्णय लेने की क्षमता, गहरा ध्यान और धैर्य और भावनात्मक नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है.
रिसर्च से मिली पुष्टि
साइकोलॉजी टुडे में छपी एक रिसर्च बताती है कि ड्यूक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर जॉनाथन वाई ने अरबपतियों के दिमाग का अध्ययन किया. नतीजे चौंकाने वाले थे. लगभग 45% अरबपतियों की मानसिक क्षमता इतनी तेज पाई गई कि वे दुनिया के सबसे टॉप 1% लोगों में आते हैं. रिपोर्ट ये भी कहती है कि यह प्रतिशत अमेरिकन सीनेटरों (41%) और फॉर्च्यून 500 कंपनियों के सीईओ (38.6%) से भी ज्यादा है. आसान शब्दों में कहें तो अरबपतियों की सोचने-समझने की क्षमता औसतन नेताओं और बड़ी कंपनियों के सीईओ से भी ऊंचे स्तर पर होती है.
समस्याओं को हल करने का अनोखा तरीका
न्यू ट्रेडर यू की रिपोर्ट बताती है कि अरबपतियों का दिमाग समस्याओं को नए और क्रिएटिव तरीके से हल करता है. वहीं, फॉर्च्यून मैगजीन के मुताबिक, एलॉन मस्क जैसे विजनरीज़ में रिस्क लेने की प्रवृत्ति और विजनरी थिंकिंग सामान्य लोगों की तुलना में कहीं ज्यादा होती है.