
बेंगलुरु के एक ऊबर ड्राइवर की प्रेरणादायक कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है.बिजनेसमैन वरुण अग्रवाल ने X पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने दीपेश नाम के ऊबर ड्राइवर की कहानी बताई. यह कहानी इसलिए खास है क्योंकि इसमें एक व्यक्ति ने पैसों से ज्यादा परिवार को महत्व दिया और अपनी जिंदगी की दिशा खुद तय की.
दीपेश ने अपने करियर की शुरुआत रिलायंस रिटेल से की थी, जहां उन्होंने करीब आठ साल तक काम किया. उनकी मासिक आय लगभग 40,000 रुपये थी. यह नौकरी स्थिर थी, लेकिन दीपेश के जीवन में सुकून नहीं था. वह सुबह से रात तक काम में व्यस्त रहते और अपने परिवार, पत्नी और बच्चों के साथ समय नहीं बिता पाते थे. धीरे-धीरे यह महसूस हुआ कि स्थिर आय के बावजूद वह खुद से और अपने परिवार से दूर होते जा रहे हैं.
इसी सोच ने उनके जीवन में बड़ा मोड़ लाया. दीपेश ने साहसिक कदम उठाते हुए अपनी कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी और ऊबर के लिए ड्राइविंग शुरू कर दी. शुरुआत में यह फैसला जोखिम भरा लगा, लेकिन जल्द ही उन्होंने साबित कर दिया कि सही प्राथमिकताएं जीवन की दिशा बदल सकती हैं. आज वह महीने में करीब 56,000 रुपये कमा रहे हैं और केवल 21 दिन काम करते हैं. अब उनके पास बाकी समय परिवार के साथ बिताने के लिए है, जो पहले संभव नहीं था.
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आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका -खुद ड्राइवर की सीट पर बैठना.
वरुण अग्रवाल ने अपनी पोस्ट में लिखा कि अब दीपेश को आखिरकार वह वर्क-लाइफ बैलेंस मिल गया है जिसकी उन्हें हमेशा तलाश थी.उन्होंने आगे लिखा कि कभी-कभी जिंदगी में आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका होता है-खुद ड्राइवर की सीट पर बैठना.
दीपेश ने सिर्फ अपनी नौकरी नहीं बदली, बल्कि सोचने का नजरिया भी बदल दिया. उन्होंने अनुशासित बचत से एक और कार खरीदी है और उस पर एक ड्राइवर रख लिया है. अब वह अपने छोटे से फ्लीट बिजनेस की शुरुआत की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर दीपेश की यह कहानी तेजी से वायरल हो गई है. हजारों लोगों ने उनकी सोच की तारीफ की हैय एक यूजर ने लिखा कि लोग इसे डिमोशन कहेंगे, लेकिन असल में यह उनके परिवार के लिए प्रमोशन है. एक अन्य यूजर ने कहा कि यह है असली ग्रोथ माइंडसेट है जब आप अपनी जिंदगी की ड्राइवर सीट खुद संभालते हैं.