भारतीय न्यायपालिका
भारतीय न्यायपालिका (The Indian Judiciary), अदालतों की एक प्रणाली है जो भारत गणराज्य (Republic of India) में कानून (Law) की व्याख्या और लागू करती है. यह एक सामान्य कानून प्रणाली का उपयोग करता है, जो पूर्व औपनिवेशिक शक्तियों और रियासतों द्वारा स्थापित कानूनी प्रणाली से विरासत में मिली है, साथ ही प्राचीन (ancient) और मध्ययुगीन काल (Medieval Times) से कुछ प्रथाओं का भी उपयोग करती है.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने चार्जशीट और FIR पर गौर करते हुए पाया कि महिला की शादी 10 दिसंबर 2010 को हुई थी. बेंच ने कहा, 'महिला के अपने बयान के मुताबिक साल 2021 तक दहेज या किसी अन्य मुद्दे पर किसी भी तरह से उसका उत्पीड़न नहीं किया गया था और वह बिना किसी शिकायत के अपने पति और परिवार के सदस्यों के साथ रह रही थी.'
जस्टिस सूर्यकांत ने भी मामले में स्थगन मांगने वाले वकीलों पर निशाना साधा और कहा कि वकील ने छुट्टी के बाद अब स्थगन की मांग की है और बताया कि वह अगले वीकेंड तक उपलब्ध नहीं हैं. उन्होंने कहा कि यही वजह है कि हम अपने रिटायरमेंट की तारीख का इंतजार करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने डीम्ड असेंट की व्यवस्था तो यह सोचकर की थी कि देश में विपक्षी दलों की सरकारों वाले राज्य की स्वतंत्रता और कानून बनाने का अधिकार प्रभावित न हो. पर सिक्के के दूसरे पहलू पर शायद सुप्रीम कोर्ट ने ध्यान नहीं दिया. राष्ट्रपति का एकमात्र अधिकार, जो सामान्य दिनों में किसी ताकतवर पीएम को भी तानाशाह नहीं बनने देता है, उस पर डीम्ड असेंट ने छुरी चला दी है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है, जो न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में एक फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है, हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति का स्थान बहुत ऊंचा है, जबकि अन्य लोग सिर्फ संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं.
जस्टिस नरीमन ने कहा कि 13 अप्रैल शायद हमारे इतिहास का सबसे काला दिन है, जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि 1919 में इसी दिन ब्रिटिश जनरल रेजिनाल्ड डायर ने जलियांवाला में हमारी ही सेना पर गोलियां चलाईं और बड़ी संख्या में हमारे नागरिकों को मार डाला था.
दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज के घर से मिले कैश ने देश की न्यायपालिका में सुधार की चर्चा को आम लोगों तक पहुंचा दिया है. जाहिर है बात जब आम लोगों तक पहुंचती है, सरकारें भी एक्शन मोड में आ जाती हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट के 39 न्यायाधीशों में से सिर्फ 7 जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 16 कार्यरत जजों में से सिर्फ एक ने अपनी संपत्ति घोषित की है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के 12 वर्तमान जजों में से 3 जजों ने अपनी संपत्ति घोषित की है.
कोर्ट ने पहले दूसरी शादी को अमान्य करार दे दिया था क्योंकि महिला ने अपने पहले पति से तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर ली थी. इसी दौरान, महिला का पहले पति से भी तलाक हो गया था और दूसरे पति से मेंटिनेंस का केस लड़ रही थी. पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद उसने दूसरे पति से फिर से शादी की.
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे. इनके लागू होने के साथ ही देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से बदल जाएगी. इन नए कानूनों के लागू होने के साथ ही पुराने कानून IPC, CRPC और Evidence Act समाप्त हो जाएंगे.
भारत में लोकतंत्र उत्तरोत्तर परिपक्व हो रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए धारा 356 का दुरुपयोग बंद होना है. देश में न्यायपालिका अब भी स्वतंत्र है, जो सुदृढ़ लोकतंत्र का परिचायक है. राज्यों के चुनाव में कई जगह बीजेपी हार रही है. मीडिया और सोशल मीडिया पर केंद्र की सत्ता संभाल रही भाजपा को खुलकर कहा-सुना जाता है.
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस आयुक्त छाया शर्मा की अध्यक्षता में समिति को जांच अधिकारियों के लिए नए प्रावधानों और प्रक्रियाओं में बदलाव की व्यावहारिक समझ और अध्ययन के लिए पाठ्यक्रम सामग्री तैयार करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट के जज ने बुधवार को नियमित मामले की सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा, 'आप कितनी बार 'माई लॉर्ड्स' कहेंगे? अगर आप यह कहना बंद कर देंगे, तो मैं आपको अपना आधा वेतन दे दूंगा.' जज नरसिम्हा ने कहा, 'आप इसके बजाय 'सर' का उपयोग क्यों नहीं करते हैं.
अशोक गहलोत ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार को लेकर दिए अपने बयान पर यू-टर्न ले लिया है. सीएम ने कहा कि मैंने ज्यूडिशियरी के करप्शन को लेकर जो कहा वह मेरी निजी राय नहीं है. उन्होंने कहा कि मैंने हमेशा ज्यूडिशियरी का सम्मान किया है.
गहलोत ने कहा कि न्यायपालिका में हो क्या रहा है? निचली या ऊपरी सभी अदालतों में हालात बहुत गंभीर है. देशवासियों को इस बारे में सोचना चाहिए. अगर सरकार गंभीरता से काम करना चाहती है तो उसे इसके बारे में सोचना होगा. ये लोग चाल, चरित्र और चेहरे की बता करते थे. आरएसएस को अलग विचार वाला संगठन माना जाता था. लेकिन आज उनका चाल, चरित्र और चेहरा कहां चला गया? ना बीजेपी का है और ना आरएसएस का है.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तेलंगाना के कानून मंत्री को पत्र लिखकर राज्य में होने वाली सिविल जज की भर्ती में उर्दू भाषियों को भी शामिल करने की मांग की है. उन्होंने पत्र लिखकर कहा है कि उर्दू राज्य की आधिकारिक भाषा है इसलिए तेलुगू के अलावा उर्दू को भी प्रशासनिक कामों में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.