आज के दौर में लोग रिश्तों को नहीं पैसों को ज्यादा एहमियत देने लगे हैं. रिश्तों की परीक्षा को किसी कुंजी को पढ़कर पास नहीं किया जा सकता. साथ मिलकर रहने से रिश्तों का एहसास और एहमियत का पता चलता है. इंसान जैसा सोचता है उसके साथ वैसा ही होने लगता है. संजय सिन्हा से सुनिए रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानी.