संजय सिन्हा आज राजकुमार सिद्धार्थ की कहानी सुनें कि कैसे बुद्ध बनने के बाद वे मध्यमार्गी ही बने रहे. वे इस बात को समझते रहे कि कैसे किसी भी चीज की अति चीज को खराब कर देती है. उम्र के साथ-साथ तन के ढलने की बात जानने पर वे मन को नियंत्रित करने के पक्ष में थे. इसके साथ ही वे अखबार के दिनों में उनके एक साथी के अखबार से टेलीविजन की दुनिया में चले जाने और उसके घमंड की कहानी भी सुना रहे हैं. साथ ही इस बात से सीखने की बात कह रहे हैं कि कैसे धन का बढ़ना तो ठीक है. मगर उद्दंडता शोभा नहीं देती.