भारत में डेटा प्राइवेसी और डार्क पैटर्न को लेकर बढ़ती चिंता के बीच Zepto CEO आदित पलीचा ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने फॉर्ब्स को दिए एक इंटरव्यू में माना है कि उनके प्लेटफॉर्म ने भी डार्क पैटर्न यूज किया और बाद में उसको हटा भी दिया गया. Zepto असल में एक क्विक कॉमर्स मार्केट है, जिसको ऐप से भी एक्सेस किया जा सकता है.
आदित पलीचा ने माना है कि उनकी कंपनी ने डिलिवरी चार्ज और प्राइसिंग से जुड़े अलग-अल तरीकों पर टेस्टिंग की. उन्होंने माना कि उनका ये एक्सपेरीमेंट कस्टमर्स को पसंद नहीं आया है. फीडबैड के आधार पर इसको रिमूव कर दिया गया.
प्राइसिंग एक्सपेरिमेंट अलग-अलग तरीके से की गई
फॉर्ब्स को बताते हुए उन्होंने कहा कि डिलिवरी फीस और प्राइसिंग एक्सपेरिमेंट को लेकर अलग-अलग तरीकों को आजमाया गया. इसके बाद बहुत से कस्टमर्स को ये अच्छा नहीं लगा और उन्होंने फीडबैक भी दिया. इसी फीडबैक के आधार पर बदलाव किया गया है.
CEO ने बताया है कि उनके इस बदलाव में कोई भी सरकारी दखल नहीं था. उन्होंने कहा कि इसमें कोई रेगुलेटरी एंगल नहीं था और ना ही सरकार की तरफ से कोई हस्तक्षेप किया गया था. काफी नेगेटिव फीडबैक मिला था, जिसकी वजह से कंपनी ने खुद इसे वापस लेने का फैसला किया. 2 महीने के अंदर कंपनी ने इसको ठीक कर लिया.
डार्क पैटर्न के नुकसान क्या हैं?
डार्क पैटर्न क्या होता है?
डार्क पैटर्न, असल में उस प्राइसिंग डिजाइन और स्ट्रैटजी को कहते हैं, जिसमें कस्टमर्स को कुछ ऐसे ऑप्शन को चुनने के लिए उकसाया जाता है, जिनको वे वास्तव में चुनना नहीं चाहते हैं. इससे कस्टमर को सस्ते होने के भ्रम पैदा होता है, जिससे वह खरीद लेते हैं.