साइबर ठगी का एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां साइबर क्रिमिनल्स ने एक पूर्व IPS ऑफिसर के साथ 8.10 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया. इसके बाद पटियाला में पूर्व पुलिस अधिकारी अमर सिंह चहल ने खुद को गोली मार ली और अभी उनका अस्पताल में इलाज जारी है.
अब सवाल आता है कि साइबर ठगों ने किस चाल का यूज किया, जिसको एक पुलिस IG स्तर का शख्स तक नहीं पहचान पाए. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.
WhatsApp पर लगाया फेमस CEO का फोटो
दरअसल, साइबर ठगों का यह गैंग बड़े ही संगठित तरीके से काम करते हैं. साइबर ठगों ने WhatsApp अकाउंट पर एक जानी-मानी कंपनी के CEO का फोटो लगाया था, जिसकी वजह से किसी को शक नहीं हुआ.
सुसाइड नोट में लिखा है कि ठगों का गिरोह F-777 DBS वेल्थ इक्विटी रिसर्च ग्रुप नाम का WhatsApp और Telegram अकाउंट चलाते थे.
कई दावे और डॉक्यूमेंट भी पेश किए
विक्टिम को धोखा देने के लिए उन्होंने खुद को DBS बैंक और उसके CEO से जुड़े हुए कई फर्जी दावे किए. विक्टिम को मोटी कमाई का लालच दिया और कहा कि स्टॉक ट्रेडिंग, IPO अलॉटमेंट, OTC ट्रेड और क्वांटिटेटिव फंड की मदद से मोटी कमाई कर सकते हैं.
नकली डैशबोर्ड और फेक वर्चुअल वॉलेट
साइबर ठगों ने आंखों में धूल झौंकने के लिए एक नकली डैशबोर्ड तैयार किया. इस डैशबोर्ड में विक्टिम को फर्जी शेयर, इनवेस्टमेंट और फेक प्रोफिट आदि दिखाया जाता. ये सब देखकर विक्टिम को यकीन हो गया कि वे मोटी कमाई कर रहे हैं. ठग उन्हें लालच देकर अलग-अलग ट्रांजैक्शन कराते रहे और मोटी कमाई के लालच में विक्टिम भी रुपये लगाते रहे.
साइबर ठगी का कब हुआ भंडाफोड़
विक्टिम ने जब अपनी मोटी रकम को निकालने की कोशिश की, जिसके बाद उनसे प्रोसेस और टैक्स के नाम पर और रुपये मांगे गए. विक्टिम ने वो भी पेमेंट कर दी. इसके बाद भी उनको अपने रुपये वापस नहीं मिले, इसके बाद उनको समझ आया कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं. पूर्व IPS अधिकारी ने अपने सुसाइड नोट में गहरे दुख, भारी आर्थिक नुकसान और मानसिक पीड़ा का जिक्र किया.
फेक इनवेस्टमेंट ग्रुप की पहचान कैसे करें?
फेक इनवेस्टमेंट ग्रुप की पहचान करना आसान है, बस इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.
साइबर ठगों की ऐसे करें पहचान
साइबर ठगों की पहचान करना बहुत ही आसान है. इसके लिए कुछ सिंपल सा काम करना होगा. पहले एडवाइजर का सेबी पर रजिस्ट्रेशन नंबर और अन्य डिटेल्स हासिल करें. फिर सेबी वेबसाइट पर जाकर जांच करें. एडवाइजर या कंपनी का नाम SEBI Registered लिस्ट में देखें.
अनजान लिंक पर क्लिक करने बचना चाहिए. ये आपके डिवाइस को हैक कर सकते हैं या फिर डिवाइस में खतरनाक ऐप को इंस्टॉल कर सकते हैं.
अनजान शख्स के साथ पर्सनल और बैंक डिटेल्स आदि शेयर ना करें. इसमें आप OTP, UPI PIN आदि किसी के साथ शेयर ना करें.