भारत और इंग्लैंड के बीच फिलहाल पांच मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जा रही है. टेस्ट सीरीज का पहला मुकाबला लीड्स में खेला गया था, जिसमें मेजबान टीम इंग्लैंड को 5 विकेट से जीत हासिल हुई थी. फिर भारतीय टीम ने जबरदस्त कमबैक किया और एजबेस्टन टेस्ट मैच में 336 रनों से बड़ी जीत दर्ज की. अब टेस्ट सीरीज का तीसरा मुकाबला 10 जुलाई (गुरुवार) से लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड पर शुरू हुआ है.
...जब भारत के डेब्यू टेस्ट में इन दो गेंदबाजों ने किया कमाल
भारतीय टीम का लॉर्ड्स मैदान से खास नाता रहा है. इसी मैदान पर भारतीय टीम ने अपने टेस्ट इतिहास का डेब्यू मुकाबला खेला था. वो एतिहासिक मुकाबला साल 1932 में 25-28 जून तक खेला गया था, जिसमें एक रेस्ट डे भी शामिल था. वो मुकाबला भारत ने सीके नायडू की अगुवाई में तीन दिन में ही गंवा दिया था. हालांकि हार के बावजूद भारतीय तेज गेंदबाजों मोहम्मद निसार और अमर सिंह ने अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से महफिल लूटी. निसार की रफ्तार और अमर की स्विंग गेंदबाजी के आगे इंग्लिश बल्लेबाज कांपते नजर आए थे.
मुकाबले में इंग्लिश कप्तान डगलस जार्डिन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया था. हालांकि उनका ये फैसला शुरुआत में गलत साबित हुआ. कप्तान जार्डिन ने यदि 79 रन नहीं बनाए होते तो इंग्लैंड की टीम पहली पारी में 259 के स्कोर तक नहीं पहुंच पाती. मोहम्मद निसार ने सबसे ज्यादा पांच और अमर सिंह ने दो विकेट झटके. ऑफ स्पिनर सीके नायडू ने भी दो विकेट हासिल किए. निसार ने ही भारत की ओर से टेस्ट इतिहास का पहला विकेट लिया. साथ ही पांच विकेट हॉल लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज भी बने.
जवाब में भारत की पहली पारी 189 रनों पर सिमट गई. यानी इंग्लैंड को पहली पारी के आधार पर 70 रनों की लीड मिली. पहली पारी में एक समय भारत का स्कोर दो विकेट के नुकसान पर 110 रन था. इसके बाद बिल बोवेस (4 विकेट) और बिल वोस (3 विकेट) की अगुवाई में इंग्लैंड ने शानदार वापसी की. सीके नायडू ने सबसे ज्यादा 40 रन बनाए थे. वहीं नाओमल जूमाल (33) और वजीर अली (31) ने भी उपयोगी पारियां खेलीं.
फिर इंग्लिश कप्तान डगलस जार्डिन ने दूसरी पारी में शानदार बैटिंग करते हुए 85* रन बनाए, जिसके चलते इंग्लैंड ने अपनी दूसरी पारी 8 विकेट पर 275 रन बनाकर घोषित कर दी. भारत की ओर से जहांगीर खान ने 60 रन देकर 4 विकेट झटके. वहीं अमर सिंह को दो, जबकि मोहम्मद निसार को एक सफलता हासिल हुई.

346 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए टीम इंडिया अपनी दूसरी पारी में 187 रनों पर ऑलआउट हो गई थी. यानी भारत को अपने डेब्यू टेस्ट मैच में 158 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. भारत की दूसरी पारी में अमर सिंह ने सबसे ज्यादा 51 रन बनाए. वैली हेमंड ने इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा तीन विकेट झटके थे.
इस वजह से छोटा रहा निसार-अमर का करियर
मोहम्मद निसार और अमर सिंह की जोड़ी से बल्लेबाज उस समय खौफ खाते थे. इसकी एक बानगी दिसबंर 1933 में देखने को मिली थी. तब इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई में खेले गए टेस्ट मैच में दाएं हाथ के तेज गेंदबाज निसार ने पहली पारी में पांच विकेट झटके. वहीं अमर सिंह ने उनका बखूबी साथ निभाया. फिर जब साल 1936 में भारत ने फिर से इंग्लैंड का दौरा किया तो ओवल टेस्ट में निसार ने 5 विकेट हॉल लिया. हालांकि वो मुकाबला मोहम्मद निसार और अमर सिंह के करियर का आखिरी मैच साबित हुआ. उस मैच के बाद द्वितीय विश्व युद्ध और अन्य वजहों के चलते भारतीय टीम 10 सालों तक क्रिकेट से दूर रही.
मोहम्मद निसार ने कुल मिलाकर भारत के लिए छह टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 28.28 के एवरेज से 25 विकेट चटकाए. इस दौरान उन्होंने 13 मौकों पर बल्लेबाजों को एलबीडब्ल्यू आउट किया था. खास बात यह रही कि निसार ने अपने पहले और आखिरी टेस्ट मैच में 5 विकेट हॉल लेने का कारनामा किया. निसार ने 93 फर्स्ट क्लास मैच खेले, जिसमें उन्होंने 17.70 की औसत से 396 विकेट चटकाए. 32 बार निसार ने फर्स्ट क्लास मैचों में पारी में 5 या उससे ज्यादा विकेट झटके.
भारत के पहले कप्तान सीके नायडू का मानना था कि मोहम्मद निसार इंग्लैंड के फास्ट बॉलर गेंदबाज हेराल्ड लारवुड से भी तेज थे. क्रिकेट विशेषज्ञ मानते हैं कि निसार जैसा तेज गेंदबाज भारत में कभी नहीं हुआ. दाएं हाथ के गेंदबाज अमर सिंह की बात करें तो उन्होंने भारत के लिए 7 टेस्ट मैचें में 30.64 की औसत से 28 विकेट चटकाए. साथ ही 292 रन भी बनाए. मोहम्मद निसार-अमर सिंह की उपलब्धियां द्वितीय विश्व युद्ध और भारत के बंटवारे के चलते भुला दी गईं.