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बराबर सैलरी क्या कर सकती है, देश की बेटियों ने दिखा दिया...ये वर्ल्ड कप जीत दे गई कई संदेश

भारतीय क्रिकेट में महिला और पुरुष खिलाड़ियों को अब एक समान मैच फीस मिलती है. अक्टूबर 2022 में बीसीसीआई ने महिला क्रिकेटर्स के लिए ये ऐतिहासिक ऐलान किया. ये कदम भारतीय महिला क्रिकेट को नई दिशा दे गया है. भारतीय महिला टीम पहली बार वर्ल्ड चैम्पियन बनने में कामयाब रही है.

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भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर वनडे वर्ल्ड कप जीता. (Photo: AP)
भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर वनडे वर्ल्ड कप जीता. (Photo: AP)

2 नवंबर (रविवार) को नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स एकेडमी की दूधिया रोशनी में भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने जैसे ही नादिन डिक्लर्क का कैच लपका, उसी पल इतिहास बन गया. यह इतिहास भारतीय महिला टीम ने रचा, जिसने साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम किया. भारतीय महिला टीम ने वर्ल्ड कप जीतकर पूरे देश को गर्व से भर दिया. फैन्स के शोरगुल और खुशी के आंसुओं के बीच यह जीत सिर्फ एक खेल में मिली जीत नहीं थी, बल्कि एक दूरदर्शी नीति की जीत थी.

दरअसल, अक्टूबर 2022 में भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (BCCI) ने एक बड़ा और साहसिक कदम उठाया था. अपनी 15वीं एपेक्स काउंसिल मीटिंग में बीसीसीआई ने महिला और पुरुष क्रिकेटरों को समान मैच फीस देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. यानी पहली बार भारतीय महिला क्रिकेटर्स को पुरुष खिलाड़ियों के बराबर मैच फीस मिलने जा रहा था.

यह कदम दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया. बीसीसीआई उन गिने-चुने खेल बोर्ड्स में शामिल हो गया, जिसने समान वेतन को सिर्फ विचार नहीं, बल्कि वास्तविकता में बदला. हालांकि, उस समय आलोचकों ने सवाल उठाए, उनका कहना था कि महिला क्रिकेट अभी पुरुषों जितनी लोकप्रिय या कमाई वाली नहीं है. कुछ लोगों ने इसे भावनात्मक फैसला कहा, ना कि आर्थिक रूप से समझदारी वाला कदम. लेकिन बीसीसीआई का ये फैसला गेमचेंजर साबित हुआ. तीन साल बाद, जब भारतीय महिलाओं ने वर्ल्ड कप ट्रॉफी उठाई, तो उन सभी आलोचनाओं का जवाब मिल गया.

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ऐतिहासिक जीत के बाद आईसीसी के मौजूदा चेयरमैन और पूर्व बीसीसीआई सचिव जय शाह ने X पर लिखा, 'भारतीय महिला टीम की यह यात्रा अद्भुत रही है. खिलाड़ियों के जज्बे, मेहनत और स्किल ने देश को प्रेरित किया है. लेकिन हमें उन नीतियों को भी याद रखना चाहिए, जिन्होंने यह संभव बनाया- बढ़ा हुआ निवेश, समान वेतन, बेहतर कोचिंग स्टाफ और महिला प्रीमियर लीग के अनुभव ने टीम को बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार किया.' उनका यह बयान सिर्फ बधाई नहीं, बल्कि उस दूरदृष्टि की झलक थी जिसने भारतीय महिला क्रिकेट को नई मंजिल तक पहुंचाया है.

यह जीत कोई इत्तेफाक नहीं थी. बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को मजबूत बनाने के लिए एक व्यवस्थित ढांचा तैयार किया. समान वेतन, बेहतर सुविधाएं, कोचिंग स्ट्रक्चर और सबसे अहम महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत. डब्ल्यूपीएल ने भारतीय खिलाड़ियों को दुनिया की बेहतरीन प्लेयर्स के साथ खेलने का मौका दिया, जिससे उनके आत्मविश्वास और प्रदर्शन दोनों में सुधार आया. इस सफलता ने यह मिथक तोड़ दिया कि महिला क्रिकेट सिर्फ किसी सुपरस्टार की वजह से आगे बढ़ रही है. असली सफलता तब मिलती है जब पूरा सिस्टम मजबूत हो, जब संस्थाएं खिलाड़ियों पर भरोसा करें और उन्हें बराबर मौके दें एवं निवेश करें.

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समान वेतन नीति ने महिला खिलाड़ियों के लिए बड़ा मानसिक और व्यावहारिक बदलाव लाया. उन्हें यह भरोसा मिला कि उनकी मेहनत और योगदान को पुरुषों के बराबर सम्मान मिल रहा है. इससे खिलाड़ियों को पूरा ध्यान क्रिकेट पर लगाने का मौका मिला, वो भी बिना किसी आर्थिक चिंता के. बेहतर भुगतान की वजह से अब महिला क्रिकेट में अच्छे कोच, ट्रेनर और विश्लेषक भी जुड़ने लगे, जिससे पूरी टीम का स्तर ऊपर उठा. फिटनेस, फील्डिंग और रणनीति, हर डिपार्टमेंट में भारतीय महिला टीम और मजबूत होती गई. उन्होंने उस आत्मविश्वास के साथ खेलना शुरू किया, जो बराबरी से आता है, ना कि किसी की कृपा से.

पूरी दुनिया के लिए संदेश है ये जीत
यह जीत सिर्फ भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक संदेश है. सालों से महिला खिलाड़ियों को कहा जाता रहा कि पहले तुम अपने खेल को पेशेवर बनाओ, फिर बराबरी मिलेगी. लेकिन भारत ने साबित कर दिया कि बराबरी सफलता की वजह बन सकती है. अमेरिका की महिला फ़ुटबॉल टीम को समान वेतन पाने के लिए सालों अदालतों में लड़ना पड़ा. वहीं भारत में बीसीसीआई ने बिना किसी संघर्ष के विश्वास और नीतिगत फैसलों के जरिए यह बदलाव पहले ही कर दिया और अब उसका नतीजा सामने है.

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बीसीसीआई का यह कदम अब पूरी दुनिया के लिए एक नया मानक बन गया है. महिला खिलाड़ियों की सफलता अब सिस्टम के खिलाफ नहीं, बल्कि सिस्टम के साथ दिख रही है. अब ऐसा लगता है कि पहली बार देश की संस्थाएं वास्तव में महिला एथलीटों के साथ खड़ी हैं. हरमनप्रीत कौर ब्रिगेड ने जो ट्रॉफी उठाई, वह सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बराबरी और विश्वास की जीत है. तीन साल पहले एक वीडियो कॉल पर पास हुआ समान वेतन का प्रस्ताव आज भारत की सबसे बड़ी खेल कहानी बन गया है...

(इनपुट: Amar Sunil Panicker)

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