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जानें, कब लगने वाला है सूर्य ग्रहण? सूतक काल का समय भी जानें

21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत समेत पाकिस्तान, चीन, सेंट्रल अफ्रीका के देश, कॉन्गो, इथोपिया, नॉर्थ ऑफ ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर और यूरोप के अलग-अलग देशों में दिखाई देगा. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें सूर्य किसी चमकीले छल्ले की तरह नजर आता है.

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21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण जैसा ही लंबा होगा.
21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण जैसा ही लंबा होगा.

21 जून, रविवार को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. इस सूर्य ग्रहण को कई मायनों में खास बताया जा रहा है. यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें सूर्य किसी चमकीले छल्ले की तरह नजर आता है. इस दौरान सूर्य का करीब 99 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा की छाया में छिप जाता है. 26 दिसंबर 2019 को लगे सूर्य ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण की अवधि भी ज्यादा देर तक रहेगी.

कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?

21 जून को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत समेत दुनियाभर के कई देशों में दिखाई देने वाला है. यह सूर्य ग्रहण भारत समेत पाकिस्तान, चीन, सेंट्रल अफ्रीका के देश, कॉन्गो, इथोपिया, नॉर्थ ऑफ ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर और यूरोप के अलग-अलग देशों में दिखाई देगा.

कितने बजे होगा सूर्य ग्रहण?

यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह करीब 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. इस ग्रहणकाल की अवधि 5 घंटे 48 मिनट रहने वाली है. हालांकि भारत के अलग-अलग हिस्सों में उसके आरंभ और समापन का समय अलग-अलग हो सकता है.

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कैसे देख सकेंगे सूर्य ग्रहण?

इस सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखना सही नहीं होगा. इसलिए इसे सनग्लास की सहायता से ही देखना सही होगा. इसके अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष शोध एजेंसी नासा की वेबसाइट पर इसका लाइव टेलिकास्ट भी किया जाएगा.

क्या है ग्रहण के मोक्ष का समय?

ग्रहण काल सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. हालांकि भारत में इसका आरंभ 9 बजकर 56 मिनट से होगा. यहां ग्रहण का मध्य दिन में 11 बजकर 30 मिनट पर होगा जबकि ग्रहण का मोक्ष 1 बजकर 20 मिनट पर होगा.

कब लगेगा सूर्य ग्रहण का सूतक?

भारत में सूर्य ग्रहण का आरंभ सुबह 9 बजकर 56 मिनट से होगा. इस वजह से सूतक काल 12 घंटे पहले मान्य होगा. यानी 20 जून, शनिवार को रात 9 बजकर 56 मिनट से सूतक काल लग जाएगा. शास्त्रों के मुताबिक, सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श करना सही नहीं माना जाता है.

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