Hanuman Jayanti 2025: भगवान हनुमान का जन्मदिन हनुमान जयंती के तौर पर मनाया जाता है. पुराणों के अनुसार, हनुमान जी को श्रीराम का परम भक्त माना जाता है. बजरंगबली के भक्तों में हनुमान जयंती को लेकर बहुत उत्साह रहता है. इस दिन हनुमान चालीसा और सुंदरकाण्ड का पाठ करते हुए परिवार के लिए मंगलकामना करें. हनुमान जी के बचपन से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. हनुमान जी द्वारा सूरज निगलने की कहानी इन्हीं में से एक है. आइए आज आपको यह कथा बताते हैं.
जब हनुमान जी ने निगल लिया था सूरज
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा केसरी और माता अंजनी के घर एक अद्भुत बालक ने जन्म लिया था, जिसका नाम था मारुति. वह बालक साधारण नहीं था. उसमें देवताओं की शक्तियां थीं. बचपन से ही वह बहुत चंचल, बलवान और बुद्धिमान था. एक दिन, जब मारुति यानी हनुमान जी छोटे थे, उन्होंने आकाश में उदय होते सूरज को देखा. उन्हें सूरज किसी चमकदार लाल की तरह दिख रहा था- जैसे कि आम. उनका मन हुआ कि उस फल को खा लिया जाए. वे तुरंत आकाश की ओर उड़ चले और इतनी तेजी से उड़े कि सारे देवी-देवता चौंक गए. हनुमान जी ने सूरज को पकड़ने की कोशिश की और उसे निगल लिया. सूरज को निगलते ही पूरी धरती पर अंधेरा छा गया. सब जीव डर गए और दिन में ही रात हो गई.
जब इंद्र देवता ने किया था हनुमान जी पर प्रहार
तब सभी देवता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे. ब्रह्मा जी ने इंद्र देव से कहा कि हनुमान जी को रोका जाए. इंद्र ने अपने वज्र से मारुति यानी हनुमान जी पर प्रहार किया. जिससे हनुमान जी सीधा धरती पर गिर पड़े. ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को उठाया और कहा, 'यह बालक विशेष है. इसे कोई नहीं मार सकता. तब ब्रह्मा जी ने उन्हें हमेशा विजयी रहने का वरदान दिया.' बाकी देवताओं ने भी उन्हें अनगिनत शक्तियां दीं. हनुमान को अमरता, अग्नि से रक्षा, पानी में न डूबने की शक्ति, हवा में उड़ने की कला और भी बहुत सारे वरदान मिले.
लेकिन जब हनुमान जी अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने लगे थे और ऋषियों की तपस्या में बाधा डालने लगे तो ऋषियों ने उन्हें श्राप दिया कि उनकी शक्तियां तब तक छुपी रहेंगी, जब उन्हें कोई याद नहीं दिलाएगा. यही कारण है कि आगे चलकर जब हनुमान जी को श्री राम के दर्शन हुए तभी उन्हें अपनी सारी शक्तियां याद आईं और वो राम भक्त महा शक्तिशाली बजरंगबली बने.