Vidur Niti in Hindi: विदुर अपनी दूरदर्शिता के कारण समय से पहले ही परेशानियों को भांप लेते थे. उन्होंने पहले ही धृतराष्ट्र को चेता दिया था कि युद्ध का अंत बेहद बुरा होगा. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में पांडवों की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले श्रीकृष्ण के साथ विदुर की नीतियां भी शामिल थीं. उनकी बातों को महाभारत काल में काफी आदर के साथ देखा जाता था. पितामह भीष्म भी विदुर से सलाह लिया करते थे. विदुर ने लोगों की मदद करने के बारे में कुछ खास बातें भी बताई हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में...
शुभं वा यदि वा पापं द्वेष्यं वा यदि वा प्रियम् |
अपृष्टस्तस्य तद् ब्रूयाद् तस्य नेच्छेत् पराभवम् ||
विदुर नीति के इस श्लोक में महात्मा विदुर कहते हैं कि यदि आपकी कोई संतान है या आपका कोई स्नेही व्यक्ति हो जिसका आप भला चाहते हों तो उसे उसके हित की और अहित की सभी बातें बता देनी चाहिए. इन बातों को बताने में कोई देर नहीं करनी चाहिए और न ही उसके पूछने की ही प्रतीक्षा करनी चाहिए. उसके बाद वह व्यक्ति चाहे जो निर्णय ले उस पर छोड़ देना चाहिए.
ऐसा करने से आपके मन में यह संतोष रहेगा कि आपने सारी उचित और अनुचित बातें तथा कार्य को करने के कारण और उसके अच्छे या बुरे परिणाम को बता दिया है. अब वह व्यक्ति अपना भला या बुरा देखते हुए अपना निर्णय ले सकता है. ऐसा करने से दो लाभ होंगे, पहला यह कि आपको अपराध बोध नहीं होगा कि सब कुछ जानते हुए भी आपने सचेत नहीं किया. वहीं, वह व्यक्ति भी भविष्य में यह शिकायत नहीं कर सकता कि आप तो मेरे शुभचिंतक थे फिर मुझे क्यों नहीं आगाह किया.
विदुर की नीतियों के अलावा उनका पूरा जीवन भी इसी बात का संदेश देता दिखता है. खुद विदुर ने कौरवों के युवराज दुर्योधन के धर्म विरुद्ध कार्य के परिणामों को बताते हुए महाराज घृतराष्ट्र को अपनी नीतियां बताईं थीं. विदुर की नीतियों को दुर्योधन ने माना नहीं माना अलग बात है लेकिन उसका परिणाम कौरवों के नाश के रूप में सामने आया. अपने अपमान और अवहेलना को सहते हुए भी विदुर ने अपना कर्तव्य पूरा किया.
विदुर का कथन है कि अपनों को बिना कहे सलाह देना चाहिए. महात्मा विदुर महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं. उनकी बुद्धिमत्ता और नीतियों को आज भी पूजा जाता है. महात्मा विदुर को दूरदर्शी और महान ज्ञाता माना जाता है. आज भी विदुर जी की नीतियों को अपना कर लोग जीवन में आगे बढ़ते हैं.