Vastu Shastra: हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. लोग इसके जरिए घर, ऑफिस, फैक्ट्री और दुकानों के निर्माण की दिशा तय करते हैं. वहीं, ऐसा भी माना जाता है अगर वास्तु शास्त्र के नियमों का ठीक से पालन न किया जाए तो जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक रूप से प्रभाव पड़ सकता है.
वहीं, वास्तु शास्त्र में जिस तरह से घर वगैरह या दैनिक कार्यों से जुड़े नियमों उल्लेख मिलता है, ठीक उसी ई-वेस्ट से जुड़े नियमों के बारे में भी बताया गया है. लेकिन आपके लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि ई-वेस्ट क्या होता है.
क्या होता है ई-वेस्ट?
आजकल का वक्त इतना एडवांस हो गया है कि कबाड़ भी ऑनलाइन बिकता है जिसको ई-वेस्ट कहा जाता है. ई-वेस्ट यानी इलेक्ट्रॉनिक कचरा और ई कचरा. चलिए जानते हैं कि इस क्षेत्र से जुड़े किन वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए.
ये है सही दिशा
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, कई इलाकों में पुराने मोबाइल, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे उपकरणों को बेचने-खरीदने की आवाजें सुनाई देती हैं. अगर आप भी कबाड़ी, रद्दी या ई-वेस्ट के क्षेत्र से जुड़ा काम करते हैं या इस क्षेत्र में नौकरी करते हैं, तो अपने घर और कार्यस्थल की दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा का विशेष ध्यान रखें. यहां कि दिशा आपके बिजनेस और नौकरी दोनों में ही परेशानी का कारण बन सकती है. वहीं, साफ-सफाई के काम से जुड़े लोगों के लिए भी यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है.
टॉयलेट की सही दिशा
दरअसल, वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम दिशा डिस्पोजल की दिशा मानी जाती है. यहां शौचालय बनवाना अच्छा होता है. इसलिए, बहुत से लोग यहां शौचालय बनवा लेते हैं, क्योंकि सामान्य रूप से यह दिशा टॉयलेट के लिए ठीक मानी जाती है.
कबाड़ी के क्षेत्र से जुड़े लोगों की दिशा
लेकिन यह नियम हर व्यवसाय के लिए समान नहीं होता. हर पेशे के लिए एक विशेष दिशा शुभ और सहयोगी होती है. जो लोग कबाड़ी, सफाई या वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में काम करते हैं, उनके लिए दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम दिशा को दोषमुक्त रखना बेहद आवश्यक है. यदि इस दिशा में टॉयलेट बना हो या कोई वास्तु दोष मौजूद हो, तो व्यवसाय में बार-बार अड़चनें आने लगती हैं. काम रुक-रुक कर चलता है, या मनचाही प्रगति नहीं मिल पाती.
ऐसे लोगों को घर या ऑफिस में टॉयलेट बनवाने के लिए पूर्व-दक्षिण-पूर्व या पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा का चयन करना चाहिए. यदि साउथ और साउथ-वेस्ट दिशा साफ-सुथरी और दोषरहित रहे, तो व्यापार में स्थिरता, तरक्की और आर्थिक प्रगति बनी रहती है.