हिंदू धर्म में पितृपक्ष को बेहद पवित्र समय माना गया है. शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष का यह 16 दिवसीय काल दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति, तृप्ति और मोक्ष के लिए समर्पित होता है. मान्यता है कि इन दिनों में पितरों का आशीर्वाद पाने और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करना आवश्यक होता है. इस साल पितृपक्ष का समापन 21 सितंबर सर्वपितृ अमावस्या के दिन होगा.
ज्योतिष शास्त्र में पितरों की आत्मा की शांति के लिए कुछ खास उपायों के बारे में बताया गया है, जिन्हें श्राद्ध पक्ष के समाप्त होने से पहले करना शुभ माना गया है. मान्यता है कि इन उपायों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
पक्षियों और जानवरों को कराएं भोजन
धार्मिक मान्यता है कि जीव-जंतु और पक्षियों को भोजन कराना पितरों को अर्पण करने के समान होता है. जब हम उनके नाम से दान या भोजन कराते हैं तो पितृ संतुष्ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं. यह कर्म बेहद पुण्यदायी माना जाता है.
दक्षिण दिशा में दीपक जलाना
शास्त्रों में दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना गया है. पितृपक्ष के दौरान इस दिशा में घी का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार पर पितृदोष का प्रभाव कम होता है.
पीपल के पेड़ की पूजा करें
हिंदू मान्यताओं के अनुसार पीपल का पेड़ देवताओं और पितरों का वास स्थल है. पितृपक्ष में पीपल वृक्ष की पूजा, जल अर्पण और दीपदान का खास महत्व है. ऐसा करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
करें दान
दान को हिंदू धर्म में सर्वोच्च कर्म माना गया है. पितृपक्ष के समय किया गया दान कई गुना फल देता है. व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार अन्न, वस्त्र, धान्य, घी या किसी और वस्तु का दान कर सकता है. मान्यता है कि इससे पितृदोष दूर होता है और पितरों से आशीर्वाद जीवन में हर संकट टल जाता है.