पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकम्भरी नवरात्र शुरू हो जाते हैं, जो पौष पूर्णिमा को समाप्त होते हैं. इसे शाकम्भरी जयंती (Shakambhari Jayanti 2021) भी कहा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मां दुर्गा ने मानव कल्याण के लिए मां शाकम्भरी का अवतार लिया था. इसे आदि शक्ति का सौम्य रूप भी कहा जाता है. आइए जानते हैं शाकम्भरी जयंती कब है और मां दुर्गा के इस स्वरूप को इस दिन कैसे प्रसन्न किया जा सकता है.
शाकाम्भरी जयंती इस बार 28 जनवरी को है. ऐसा कहा जाता है कि मां दुर्गा ने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट से निजात दिलाने के लिए शाकम्भरी का अवतार लिया था. इसलिए इन्हें सब्जियों और फलों की देवी के रूप में भी पूजा जाता है. इस दिन असहायों को अन्न, शाक (कच्ची सब्जी), फल व जल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
पूजन विधि- इस दिन प्रात:काल में जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान करें. मां शाकम्भरी का ध्यान करें. इसके बाद पूरे विधि-विधान के साथ देवी की पूजा करें. मां शाकम्भरी की चौकी लगाएं. उनकी प्रतिमा की आरती उतारें. ताजे फल और सब्जियों से भोग लगाएं और गंगा जल का छिड़काव करें. इसके बाद मंदिर में जाकर प्रसाद चढ़ाएं और जरूरतमंदों को दान करें. इस दिन मां शाकाम्भरी की कथा भी सुनें.
इस मंत्र का करें जाप- शाकम्भरी पूर्णिमा गुरुवार 28 जनवरी रात 01 बजकर 17 मिनट से शुक्रवार, 29 जनवरी रात 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इस दिन देवी के शुभ मंत्र का जाप करना भी बेहद शुभ माना जाता है. व्रत रखने वालों को इस दिन 'शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना। मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।' मंत्र का जाप करना चाहिए.