राजस्थान के अलवर जिले में पुलिस ने साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो साइबर ठगों को बैंक खातों की सप्लाई करता था. इन खातों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की रकम जमा होने का खुलासा हुआ है. पुलिस ने इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके पास से भारी मात्रा में बैंकिंग दस्तावेज, मोबाइल और अन्य सामग्री जब्त की गई है.
कैसे चलता था खेल?
अलवर पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने बताया कि साइबर ठगों को 'म्युल अकाउंट' मुहैया कराने का यह गिरोह कमीशन बेस पर काम करता था. ठग इन खातों का इस्तेमाल देशभर में ठगी और अवैध लेनदेन के लिए करते थे. आरोपियों को इसके बदले डिजिटल करेंसी यानी क्रिप्टो के रूप में कमीशन मिलता था. इन खातों में साइबर ठगी के अलावा ऑनलाइन बेटिंग एप और अन्य अवैध कारोबार के पैसे भी जमा होते थे.
यह भी पढ़ें: अलवर: सोसायटी में चोरी की कोशिश नाकाम, लोगों ने पकड़कर दो चोरों को पीटा फिर पुलिस को सौंपा
गिरफ्तार आरोपी और बरामदगी
पुलिस ने इस मामले में संजय अरोड़ा (29) निवासी जवाहर नगर, गौरव सचदेवा (30) निवासी सूर्य नगर, अंकित बंसल (32) निवासी अपना घर शालीमार, रामवीर (35) निवासी दयानगर, सतीश कुमार बेरवा (45) निवासी 200 फीट रोड और प्रेम पांचाल निवासी मुल्तान नगर दिल्ली रोड को गिरफ्तार किया है. इनके पास से पुलिस ने 6 चेकबुक, 19 एटीएम कार्ड, 9 पासबुक, 12 साइन किए हुए चेक, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, 20 मोबाइल फोन, 20 सिम कार्ड, एक पहचान पत्र, तीन गाड़ियों की आरसी और एक कार जब्त की है.
शिकायतों से खुला राज
अलवर पुलिस की साइक्लोन सेल को एक बैंक खाते की जानकारी मिली थी, जिसके खिलाफ 101 शिकायतें दर्ज थीं. इस खाते से 2 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ था. जांच शुरू होने पर एक-एक करके कई बड़े खुलासे सामने आए. आरोपियों ने लक्ष्मी इंटरप्राइजेज ट्रांसपोर्ट नगर अलवर के नाम से एक फर्म बना रखी थी. इसी फर्म के जरिए देशभर में सैकड़ों म्युल अकाउंट खोले गए. इन खातों में ठगी, बेटिंग एप और गेमिंग एप से जुड़े लेन-देन किए जाते थे.
क्रिप्टो में लेते थे कमीशन
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी इन खातों के एवज में ठगों से कमीशन डिजिटल करेंसी में लेते थे. क्रिप्टो एक्सचेंजर और अन्य डिजिटल माध्यमों से इन्हें भुगतान होता था. इस रकम का उपयोग ये अपने नेटवर्क को बढ़ाने और अवैध कारोबार में करते थे.
बैंक कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध
पुलिस ने आशंका जताई है कि इस पूरे नेटवर्क में बैंक कर्मचारियों और सरकारी विभागों के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता हो सकती है. कुछ संदिग्ध बैंक कर्मचारियों की भूमिका सामने आई है, जिनकी जांच की जा रही है.
एसआईटी गठित, कड़ी कार्रवाई की तैयारी
इस मामले की गहराई से जांच के लिए अलवर पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है. एसपी सुधीर चौधरी ने कहा कि यह राजस्थान की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई में से एक है. केस ऑफिसर स्कीम के तहत इस केस की पैरवी की जाएगी ताकि आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके. साथ ही अन्य संबंधित विभागों को भी इस बारे में पत्र के जरिए सूचना दी गई है.
म्युल अकाउंट क्या होता है?
म्युल अकाउंट असल में एक बैंक खाता है, जिसे अपराधी अपने काम के लिए 'पैसे की डिलीवरी बॉक्स' की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसमें ठगी का पैसा पहले आता है और फिर तुरंत किसी और खाते में भेज दिया जाता है ताकि असली ठग तक पुलिस आसानी से न पहुंच सके.