देश में 'लहूलुहान राजनीति' की नींव आजादी के वक्त ही पड़ गई थी. आजादी के बाद दंगों में पहले और दूसरे विश्व युद्ध से कहीं ज्यादा लोग मारे गए थे. दंगों की राजनीति और दंगों पर राजनीति तब से आज भी लगातार जारी है.