देश में अल्पसंख्यक समुदाय वोट बैंक के लिए बहुत मायने रखता है. तमाम पार्टियां इसे साधने में जुटी रहती हैं. आजादी के बाद से 65 साल बीत गए. इस समुदाय को लेकर कई वादे किए गए, लेकिन वादे अधूरे हैं. चुनाव सामने है यानी एक बार फिर समुदाय को साधने के लिए पूरा राजनीतिक तंत्र उठ खड़ा हुआ है या हो रहा है.