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नीतीश कुमार पर क्या ED की विशेष मेहरबानी है? राघव चड्ढा की सूची तो यही कहती है

आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने INDIA गठबंधन के जिन बड़े नेताओं का नाम लिया है, उसमें नीतीश कुमार नहीं हैं. ये ठीक है कि AAP नेता ने ED के निशाने पर आये नेताओं का नाम लिया है - सवाल ये है कि अगर उनमें ममता बनर्जी हो सकती हैं तो नीतीश कुमार क्यों नहीं?

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जांच एजेंसियों के बहाने आम आदमी पार्टी ने INDIA गठबंधन पर राजनीतिक बयान जारी कर दिया है
जांच एजेंसियों के बहाने आम आदमी पार्टी ने INDIA गठबंधन पर राजनीतिक बयान जारी कर दिया है

INDIA गठबंधन असल में नीतीश कुमार की कल्पना का ही मूर्त रूप है, लेकिन शुरू से ही उनको क्रेडिट लेने से रोकने की कोशिश चल रही है. शायद इसकी बड़ी वजह नीतीश कुमार खुद ही हैं. मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज रहने के लिए बार बार पाला बदल कर राजनीति के इस छोर से उस छोर तक झूलते हुए नीतीश कुमार ही इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार भी हैं. 

नीतीश कुमार को जातिगत गणना से लेकर बिहार में शिक्षकों की भर्ती तक का श्रेय लेने के लिए कदम कदम पर जूझना पड़ रहा है - और हो सकता है आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की तरफ से बतायी जा रही INDIA गठबंधन के बड़े नेताओं की सूची से उनका नाम बाहर रखे जाने की भी ऐसी ही वजह हो. 

कुछ ही दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिहार दौरे के वक्त नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं के साथ अपने गहरे रिश्ते का जिक्र कर एक नयी चर्चा छेड़ दी थी. करीब करीब वैसी ही चर्चा जैसा जैसी G-20 सम्मेलन के दौरान नीतीश कुमार के राष्ट्रपति के डिनर में शामिल होने के बाद शुरू हो गयी थी. 

लेकिन एनडीए में लौटने के कयासों पर ब्रेक लगाने के लिए नीतीश कुमार उसके बाद तेजस्वी यादव की भी तारीफ कर डाली. तेजस्वी यादव की तरफ इशारा करते हुए कह डाले, 'अब हमको कुछ नहीं चाहिये... हम लोग साथ में काम कर रहे हैं... ये बच्चा हम लोगों के साथ है... यही हमारा सब कुछ है... हम साथ मिल कर अच्छा काम कर रहे हैं.'

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और फिर तेज प्रताप यादव ने भी खुशी खुशी नीतीश कुमार की बातों को आगे बढ़ा दिया, 'चाचा तो शुरू से लगे रहते हैं हम लोगों को आगे बढ़ाने के लिए... नौजवान हैं, उनके भतीजे हैं हम लोग... कोई चाचा नहीं चाहेगा कि भतीजा का पैर तोड़ दिया जाए या खींच लिया जाएगा, वो तो आगे बढ़ाने के लिए आशीर्वाद ही देगा.'

बेटा भले ही नीतीश कुमार के लिए ऐसी बातें कर रहा हो, लेकिन INDIA गठबंधन में नीतीश कुमार का कद कम करने के पीछे ज्यादा जिम्मेदार तो लालू यादव ही रहे हैं. हो सकता है, ये सब वो कांग्रेस के दबाव में कर रहे हों, लेकिन ये तो हर कोई जानता है कि नीतीश कुमार विपक्षी खेमे में लालू यादव के बगैर टिकने वाले नहीं हैं. 

AAP नेता राघव चड्ढा की नजर में भी नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन के बड़े नेता नहीं लगते. INDIA गठबंधन के बड़े नेताओं में वो ममता बनर्जी के साथ साथ तेजस्वी यादव तक का नाम ले रहे हैं - लेकिन नीतीश कुमार का नहीं लेते.

ममता बनर्जी और नीतीश कुमार में क्या फर्क है?

अव्वल तो राघव चड्ढा ने विपक्षी खेमे के ऐसे नेताओं की सूची पेश की है जो ED के निशाने पर हो सकते हैं. जिन नेताओं को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भेजा जा सकता है. यानी वे सारे नेता जो बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोध में खड़े हो रहे हैं - और ये नेता फिलहाल INDIA गठबंधन के बैनर तले इकट्ठा हुए हैं. विधानसभा चुनावों में व्यस्तता के चलते विपक्षी गठबंधन की गतिविधियां थम सी गयी हैं.

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हालांकि, राघव चड्ढा का दावा है कि केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय सिर्फ विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल भेजने में लगा है. राघव चड्ढा ने ये सवाल भी उठाया है कि आखिर 2014 के बाद से केंद्रीय एजेंसियों ने 95 फीसदी मामले सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ क्यों दर्ज किये हैं?

जांच एजेंसियों के निशाने पर आये नेताओं में पहला नाम राघव चड्ढा ने अरविंद केजरीवाल का रखा है. अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 2 नवंबर को पेश होने का समन भेजा है. समन मिलने के साथ ही आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने की आशंका जताने लगे हैं. 

AAP नेता का दावा है कि अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का नंबर आने वाला है. उसके बाद, राघव चड्ढा के मुताबिक, बिहार से डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को गिरफ्तार किया जाएगा. फिर पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी. उसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन. उसके बाद तमिलनाडु से मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के करीबियों को. उसके बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बेटे केटीआर और बेटी कविता को - और आखिर में महाराष्ट्र से पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एनसीपी नेता शरद पवार के करीबियों पर. 
जिस तरह से राघव चड्ढा ने जांच एजेंसियों के निशाने पर आ रहे नेताओं के नाम गिनाये हैं, निश्चित तौर पर ज्यादातर नेता या उनके करीबी जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं - और ऐसे नेताओं से नीतीश कुमार काफी दूर खड़े हैं.  

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राघव चड्ढा की मानें तो विपक्षी दलों के सभी नेता बेकसूर हैं, लेकिन 2024 के आम चुनाव में हार के डर से बीजेपी के इशारे पर उनको गिरफ्तार किये जाने की तैयारी चल रही है - जिन नेताओं का नाम राघव चड्ढा ने लिया है, उन्हें INDIA गठबंधन का टॉप लीडर बताया है. 

ये समझ में नहीं आ रहा है कि राघव चड्ढा, नीतीश कुमार को विपक्षी खेमे के नेताओं में बेदाग छवि का एकमात्र नेता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, या INDIA गठबंधन के बड़े नेताओं की सूची से नीतीश कुमार को बाहर खड़ा कर रहे हैं - या फिर विपक्ष में बड़ा नेता सिर्फ उनको बता रहे हैं जिनका नाम किसी न किसी घोटाले से जुड़ा हुआ है?

विपक्षी खेमे में अब तक अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और नीतीश कुमार ही साफ सुथरी छवि के नेता माने जाते रहे हैं - लेकिन अब तो लगता है नीतीश कुमार अकेले रह गये हैं. क्योंकि राघव चड्ढा के अनुसार तो ममता बनर्जी भी ईडी के निशाने पर हैं. 

क्या ममता बनर्जी और नीतीश कुमार में ईडी के निशाने पर होने और नहीं होने भर का ही फर्क रह गया है?

राघव चड्ढा के बयान के राजनीतिक मायने क्या हैं?

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राघव चड्ढा ने ईडी के निशाने  पर आने वाले नेताओं की जो फेहरिस्त पेश की है, वो देख कर ऐसा लगता है जैसे वो आम आदमी पार्टी का राजनीतिक बयान पढ़ रहे हों - और जांच एजेंसियों के बहाने 2024 की लड़ाई का कोई खाका पेश कर रहे हों. 

बड़ी चतुराई से राघव चड्ढा 2024 के आम चुनाव को बीजेपी बनाम क्षेत्रीय दलों की लड़ाई का रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. नीतीश कुमार के बहाने वो एक तरीके से गांधी परिवार को भी संदेश दे रहे हैं कि कांग्रेस ये न समझे की बीजेपी से लड़ाई में मोर्चे पर वही सिर्फ आगे है.

ताज्जुब की बात ये है कि राघव चड्ढा, राहुल गांधी और सोनिया गांधी तक का नाम लेते हैं, लेकिन अशोक गहलोत का नाम नहीं लेते जिनके बेटे को अभी अभी ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था - क्या वो अशोक गहलोत का नाम लेकर उनके करीबियों के जांच एजेंसियों के निशाने पर आने का जिक्र नहीं कर सकते थे. 

अगर विपक्षी खेमे के मुख्यमंत्रियों में वो एमके स्टालिन और केसीआर का नाम ले रहे हैं तो अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को क्यों जांच एजेंसियों के निशाने से बाहर बता रहे हैं? अखिलेश यादव और मायावती का भी नाम नहीं लिया है. जांच एजेंसियों के निशाने पर तो दोनों ही रहे हैं - आखिर राघव चड्ढा के ये सब बताने के मायने क्या हैं?
 

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