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कैसे होता है किसी वोटर का नाम डिलीट? राहुल गांधी के हैकिंग वाले आरोपों में कितना दम?

वोट चोरी के मुद्दे पर 'हाईड्रोजन बम' फोड़ने से पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को 2023 के अलंद विधानसभा चुनाव से पहले वहां कथित रूप से कांग्रेस के वोटरों के नाम डिलीट करने का आरोप लगाया. आइये, नाम डिलीट करने की प्रक्रिया को समझते हुए जानते हैं क‍ि राहुल के आरोपों में कितना दम है.

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चुनाव आयोग पर हमलावर राहुल गांधी का वोटर के नाम डिलीट करने में धांधली होने का दावा कितना दमदार?
चुनाव आयोग पर हमलावर राहुल गांधी का वोटर के नाम डिलीट करने में धांधली होने का दावा कितना दमदार?

वोट चोरी को मुद्दा बनाकर देशभर में हमलावर हो रहे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को फिर चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया. और यह साबित करने की कोशिश की कि कैसे कर्नाटक के अलंद विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के वोटरों का नाम डिलीट करके उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. उन्‍होंने यह भी आरोप लगाया क‍ि चुनाव आयोग के सिस्‍टम को हैक करके सॉफ्टवेयर से एक साथ कई लोगों के नाम वोटर लिस्‍ट से हटा दिए गए. और इस बारे में कर्नाटक सीआईडी ने चुनाव आयोग से जांच में सहयोग करने के लिए कहा, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया.

आइये समझते हैं कि किसी का नाम वोटर लिस्‍ट से हटाने/डिलीट करने की प्रक्रिया क्‍या है, और क्‍या ये सिस्‍टम हैक क‍िया जा सकता है?

वोटर लिस्‍ट से किसी नाम कब काटा जा सकता है- मतदाता सूची से नाम तभी हटाया जाता है जब व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, वह कहीं और शिफ्ट हो गया हो, अब उस पते पर नहीं रहता हो, किसी कानून के अनुसार मतदान के लिए अयोग्य हो गया हो, या उसका नाम गलती से दो बार चढ़ गया हो.

कैसे और कौन कर सकता वोटर लिस्‍ट से नाम डिलीट करने का आवेदन- नाम हटाने के लिए Form-7 भरना होता है. यह फॉर्म ऑनलाइन NVSP पोर्टल या वोटर हेल्पलाइन ऐप से भरा जा सकता है. अगर कोई ऑनलाइन नहीं करना चाहता तो फॉर्म प्रिंट करके निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) या सहायक अधिकारी (AERO) को जमा कर सकता है.

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नाम डिलीट करने से पहले अधिकारी कैसे जांच करते हैं- फॉर्म मिलने के बाद बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर जाकर जांच करते हैं. अगर मामला मृत्यु का है तो परिवार या पड़ोसियों से जानकारी ली जाती है. अगर शिफ्ट होने का है तो भी पता कर लिया जाता है कि व्यक्ति अब वहां नहीं रहता.

नोटिस और जवाब देने की रहती है गुंजाइश- नाम काटने से पहले निर्वाचन अधिकारी संबंधित मतदाता या परिवार को एक नोटिस भेजते हैं. इसमें पूछा जाता है कि नाम क्यों न हटाया जाए. अगर व्यक्ति अपना पक्ष रखना चाहता है तो उसे मौका दिया जाता है.

कैसे लिया जाता है वोटर का नाम डिलीट करने का अंतिम निर्णय- सारी जांच और जवाब सुनने के बाद निर्वाचन अधिकारी आदेश पास करता है. अगर कारण सही पाया गया तो नाम हटा दिया जाता है. अगर वजह गलत निकली तो नाम सूची में बना रहता है.

वोटर लिस्‍ट से नाम डिलीट होने के बाद भी रहता है अपील का अधिकार- अगर किसी का नाम गलत तरीके से काट दिया गया हो तो वह 15 दिनों के भीतर अपील कर सकता है. यह अपील जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) या मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास की जाती है. जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट तक भी जाया जा सकता है.

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किसी बाहरी सॉफ्टवेयर की मदद से वोट डिलीट करना संभव है?

सिक्योरिटी और ऑथेंटिकेशन- NVSP पोर्टल पर हर आवेदन के लिए मोबाइल OTP, ईमेल वेरिफिकेशन या आधार लिंकिंग जैसी प्रक्रियाएँ होती हैं. कोई भी बाहरी सॉफ़्टवेयर इन सिक्योरिटी लेयर को बायपास नहीं कर सकता.

कानूनी बाध्यता- चुनाव आयोग केवल अपनी आधिकारिक वेबसाइट और ऐप (NVSP, Voter Helpline, CEO State Websites) को ही मान्य मानता है. किसी बाहरी टूल से डाले गए डेटा को वैध नहीं माना जाएगा.

कैप्चा और डेटा प्रोटेक्शन- NVSP पोर्टल में कैप्चा वेरिफिकेशन और डेटा एन्क्रिप्शन होते हैं. यह सिस्टम बॉट या ऑटो-फिल सॉफ्टवेयर से बचाने के लिए बनाए गए हैं.

चुनाव आयोग ने कहा, कोई बाहरी व्‍यक्ति वोट डिलीट नहीं कर सकता

राहुल गांधी के आरोपों का चुनाव आयोग ने अपने ढंग से फैक्‍ट-चैक किया है. आयोग ने अपनी ट्वीट की पहली लाइन में यही कहा है क‍ि किसी भी आम व्‍यक्ति के द्वारा किसी वोटर का नाम डिलीट नहीं किया जा सकता है. जैसा क‍ि राहुल गांधी कह रहे हैं. वे जिस अलंद विधानसभा का उदाहरण दे रहे हैं, वहां 2023 के चुनाव में ऐसी कुछ कोशिशें हुई थीं, जिसकी FIR खुद चुनाव आयोग द्वारा दर्ज कराई गई थी. और सबसे दिलचस्‍प तो यह तथ्‍य है क‍ि अलंद विधानसभा में 2018 में बीजेपी जीती थी, जो क‍ि 2023 में कांग्रेस के हाथों हार गई.

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राहुल गांधी के वे आरोप, जिनके जवाब चुनाव आयोग से आना बाकी हैं

-अलंद विधानसभा में वोटरों के नाम डिलीट करने का मामला इतना ही साफ सुथरा है तो कर्नाटक सीआईडी की शंका का समाधान चुनाव आयोग ने क्‍यों नहीं किया? राहुल गांधी कह रहे हैं क‍ि कर्नाटक सीआईडी ने अलंद के मामले में चुनाव आयोग को 18 बार चिट्ठी लिखी है क‍ि उन्‍हें यह बताया जाए क‍ि नाम डिलीट करने वाले कंप्‍यूटर का IP एड्रेस क्‍या था, और वे मोबाइल नंबर साझा क‍िये जाएं, जिन पर नाम डिलीट करने के लिए OTP भेजा गया.

-राहुल गांधी ने प्रेस कान्‍फ्रेंस के दौरान अलंद विधानसभा के कुछ रहवासियों के बयान सुनाए, जिन्‍होंने कहा कि उनके नाम का दुरुपयोग करके वोटरों के नाम डिलीट क‍िए गए. क्‍या चुनाव आयोग यह मानता है क‍ि ये लोग झूठ बोल रहे हैं?
हालांकि, राहुल गांधी का यह दावा दम नहीं रखता है क‍ि जिनके नाम डिलीट हुए हैं, वे कांग्रेस के वोटर हैं. क्‍योंकि, अमेरिका की तरह भारत में वोटर किसी पार्टी के नाम पर रजिस्‍टर नहीं होते हैं.

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