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मिट्टी को बचाएं - जलवायु परिवर्तन को ठीक करें

मिट्टी बचाओ अभियान का रेस्पांस अभूतपूर्व रहा है. मार्च 2022 से हम 4 बिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच चुके हैं, जिससे मिट्टी बचाओ दुनिया का सबसे बड़ा जन-आंदोलन बन गया है. संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों के साथ हमारी सक्रिय भागीदारी है.

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सद्गुरु, ईशा फाउंडेशन.
सद्गुरु, ईशा फाउंडेशन.

यदि आप इस धरती पर जीवन के घटित होने के तरीके को देखें तो मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवी जीवन ही दूसरे सारे जीवन का आधार है. समस्त जीवन का आधार मिट्टी की ऊपरी 12-15 इंच सतह में मौजूद है, लेकिन आज दुनिया भर में मिट्टी का क्षरण तेजी से हो रहा है.

विश्व में धरती की ऊपरी मिट्टी का आधा भाग नष्ट हो चुका है. सामान्य कृषि मिट्टी में, न्यूनतम जैविक पदार्थ कम से कम 3-6% के बीच होना चाहिए, लेकिन दुनिया के बड़े हिस्से में, यह 1% से काफी नीचे है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े बताते हैं कि हमारे पास आगे 80-100 फसलों के लिए ही कृषि योग्य मिट्टी बची है. इसका मतलब है कि केवल 45-60 वर्षों में, भोजन की गंभीर कमी हो सकती है और समृद्ध मिट्टी प्राप्त करना इस धरती पर लड़ाइयों का आधार बन सकता है.

जब जैव विविधता और मिट्टी की बात आती है, तो राष्ट्रीय सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं. इस समस्या को विश्व स्तर पर संबोधित किया जाना चाहिए. यदि इस धरती पर जीवन के प्रति हमारी कोई प्रतिबद्धता है, यदि आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारी कोई जिम्मेदारी है तो इसे करना हर देश के लिए बेहद जरूरी है तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मिट्टी को एक पवित्र इकाई के रूप में स्थापित किया जाए और पारिस्थितिक पुनर्जनन को हर देश में नीतियों का हिस्सा बनाया जाए.

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'कृषि भूमि में 3-6% जैविक पदार्थ अवश्य हो'

अभी ‘कॉन्शियस प्लैनेट - सेव सॉइल अभियान’ का लक्ष्य एक ऐसी वैश्विक नीति लाना है कि कृषि भूमि में न्यूनतम 3-6% जैविक पदार्थ अवश्य होना चाहिए. अभियान के हिस्से के रूप में, 2022 में मैंने जागरुकता बढ़ाने और सरकारों से मृदा नीतियां लागू करने का आग्रह करते हुए लंदन से दक्षिणी भारत तक अकेले मोटरसाइकिल यात्रा की थी, जिसमें 100 दिनों में 30,000 किमी की दूरी तय की गई.

'मिट्टी बचाओ दुनिया का सबसे बड़ा आंदोलन'

मिट्टी बचाओ अभियान का रेस्पांस अभूतपूर्व रहा है. मार्च 2022 से हम 4 बिलियन से अधिक लोगों तक पहुंच चुके हैं, जिससे मिट्टी बचाओ दुनिया का सबसे बड़ा जन-आंदोलन बन गया है. संयुक्त राष्ट्र की कई एजेंसियों के साथ हमारी सक्रिय भागीदारी है. मैंने यूएनसीसीडी COP15 में 193 देशों को संबोधित किया, जहां हमने मिट्टी की गुणवत्ता बहाल करने के लिए प्रोत्साहन-आधारित दृष्टिकोण का सुझाव दिया और अब 81 देश मिट्टी से जुड़ी नीतियां बनाने की प्रक्रिया में हैं. यूरोपीय संघ ने हमारे साथ एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, और हमें विश्वास है कि यह स्वाभाविक रूप से सभी यूरोपीय संघ देशों में बदलाव लाएगा.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम मिट्टी के महत्व को केंद्र में लाने में सफल रहे हैं. ग्लासगो में COP26 के दौरान, ‘मिट्टी’ शब्द का किसी ने भी उल्लेख नहीं किया था, लेकिन अब 100 दिनों के अभियान और कई सरकारों के साथ हमारे निरंतर प्रयासों के बाद, मिट्टी का मुद्दा मुख्यधारा में आ गया है.

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40 साल में पहली बार चीन सरकार ने मृदा सर्वेक्षण शुरू किया है. मिट्टी के स्वास्थ्य को पुनर्जीवित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने 8.5 बिलियन डॉलर आवंटित किए हैं और भारत ने 2.4 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. यूरोपीय संघ मृदा स्वास्थ्य कानून बनाने की प्रक्रिया में है और उसने घोषणा की है कि मृदा पुनर्जनन जलवायु सुधार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

COP28 में, संयुक्त अरब अमीरात ने टिकाऊ कृषि पर अमीरात घोषणा का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कार्यवाही का ध्यान मिट्टी और कृषि की ओर लाना है. मिट्टी बचाओ अभियान इसी दिशा में प्रयास कर रहा है. हमारे प्रधानमंत्री ने ग्रीन क्रेडिट पहल की शुरुआत भी की है, जो किसानों के लिए कार्बन क्रेडिट फंड तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण शुरुआत हो सकती है. यह पहल मिट्टी बचाओ अभियान के लक्ष्यों में से एक को पूरा करेगी.

तो समझदारी भरे कदम उठने शुरू हो गए हैं, लेकिन हमें सुधार की दिशा में चमत्कार की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. हमने सात से आठ दशकों में मिट्टी को नष्ट किया है. इसे ठीक होने में कुछ समय लगेगा, लेकिन मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऐसा होगा. एकमात्र प्रश्न कार्यान्वयन की गति को बनाए रखना है.

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यह समय निर्णायक कार्यवाही का है. अगर हम इस धरती पर जीवन की आवाज को सुनें तो संदेश एकदम स्पष्ट है: हम जिस पारिस्थितिक आपदा की ओर बढ़ते जा रहे हैं, उसे तुरंत पलटने की जरूरत है. आइए हम नस्लीय, धर्म और राष्ट्रीयता के अपने मतभेद किनारे रखकर धरती पर समस्त जीवन के लिए मिलकर काम करें. आइए इसे संभव बनाएं.

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