आपको याद होगा बीजेपी नेता नुपूर शर्मा का नाम और उनका बयान जिसके चलते वो इस्लामी कट्टरपंथियों की नजर में आ गईं और उन्हें भूमिगत होना पड़ा था.कतर ही वह देश था जिसने सबसे पहले उनके बयान को इस्लामी वर्ल्ड के सामने रखा और अपना विरोध जताया था. कतर वह सफेदपोश देश है जिसे अपनी करतूतें नहीं दिखतीं, पर दूसरों के मामले में वह तुरंत एक्शन में आ जाता है. यही कारण है कि आज दुनिया का बच्चा-बच्चा जानता है कि इस्लामी आतंकवादियों का सबसे बड़ा हमदर्द देश कतर है.
कतर आतंकवादी संगठनों की न केवल फंडिंग करता है, बल्कि अपने देश की जमीन पर मुख्यालय बनाकर काम करने की आजादी भी देता है. हमास को पैसे देने वाले देशों में कतर सबसे आगे रहा है. हमास ही नहीं कतर तालिबान को भी पैसा देता रहा है. अफगानिस्तान से जब तालिबान को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, कतर ने ही अपनी राजधानी दोहा में तालिबान को अपना ऑफिस खोलने की अनुमति दी थी. अल कायदा जैसे खूंखार आतंकवादी संगठन के साथ भी कतर के करीबी संबंध रहे हैं.
हमास के बड़े नेताओं का कतर में ही ठिकाना
जिन लोगों ने वायरल हो रहे हमास के चेयरमैन इस्माइल हानिया का वह विडियो देखा होगा जिसमें वह अलजजीरा टीवी पर इजरायल में आतंकी हमलों का लाइव प्रसारण देख रहा है, उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि जिस जगह पर यह प्रसारण देखा जा रहा है वह कतर की राजधानी दोहा का एक फ्लैट है. यूं ही नहीं कतर दुनिया में आतंकवादियों के लिए स्वर्ग बना हुआ है. पाकिस्तान-अफगानिस्तान-सीरिया और गाजा तो केवल टूल हैं मास्टरमाइंड तो कतर है जो दुनिया भर में इस्लामी आतंकवादियों का आका बना हुआ है.
इजरायल में कहर बरपाने वाले हमास के तमाम नेता दोहा में सुरक्षित बैठे हुए हैं और उनकी करतूतों का फल गाजा के गरीबों को भुगतना पड़ रहा है.इस्लामी वर्ल्ड को समझना होगा कि जब तक कतर जैसे देशों पर नियंत्रण नहीं लगाएंगे न दुनिया शांत होगी और नही इस्लामी वर्ल्ड.
4TV BREAKING ** Hamas leader, Ismail Haniyeh celebrating and praying for the current terror operation in Israel. He's highly likely in Qatar pic.twitter.com/zWQIJKcrFm
— Shakeel Yasar Ullah (@yasarullah) October 7, 2023
फिलिस्तीन की आड़ में हमास की खुले तौर पर पैरवी करता रहा है कतर
इजरायल पर इतने बड़े और क्रूरतम हमले के बाद भी कतर के विदेश मंत्रालय के पास इजरायल को सांत्वना देने के लिए 2 शब्द नहीं थे. इसकी जगह उसे इजरायल द्वारा गाजा पट्ठी में उठाए गए कठोर कदमों की चिंता थी. कतर विदेश मंत्रालय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि इजरायल को अंतरराष्ट्रीय कानून के घोर उल्लंघन करने से रोकने के लिए बाध्य किया जा सके.बयान में कहा गया कि ऐसी घटनाओं का इजरायल दुरुपयोग करेगा और गाजा में फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ एक ऐसा युद्ध भड़काएगा जो दो असमान देशों के युद्ध के समान होगा. कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह फिलिस्तीनी लोगों के न्याय के लिए और उनके वैध अधिकारों और 1967 की सीमाओं पर अपने स्वतंत्र राज्य की स्थापना के लिए अपनी दृढ़ता को दोहराता है.
इतना ही नहीं कतर के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यह भी कहा कि इजरायल पर हमास के हमले के लिए स्वयं इजरायल ही दोषी है. फिलिस्तीनी लोगों की लगातार प्रताड़ना और अल अक्सा मस्जिद पर इजरायली पुलिस की बार-बार छापेमारी को लेकर जो गुस्सा पल रहा था उसका परिणाम है यह हमला.
अगवा किये गए इजरायली नागरिकों के बदले फिलिस्तीनी आतंकियों को छुड़ाने के लिए बिचौलिये बना कतर
हमास के हमलों के बाद कतर सबसे अधिक एक्शन में है. अरब वर्ल्ड में चौधरी बनने की कवायद में अब कतर इस कोशिश में है कि हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थता करने का उसे मौका मिले.दरअसल इजरायल की जेलों में करीब 36 फिलिस्तीन महिलाएं और बच्चे बंद हैं. जिनकी रिहाई की मांग फिलिस्तीन करता रहा है. अब हमास के पास भी भारी संख्या में इजरायली नागरिक और बच्चे बंधक के रूप में है. हमास ने इजरायल पर हमले के दौरान इन्हें बंधक बनाया था. रायटर ने अपने सूत्रों के हवाले जानकारी दी है कि कतर इस संबंध में इजरायली अधिकारियों के संपर्क में है. कतर के विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स को कैदियों की अदला-बदली सहित हमास और इजरायली अधिकारियों के साथ मध्यस्थता वार्ता में शामिल होने की पुष्टि की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी ने विस्तृत जानकारी दिए बिना रॉयटर्स को बताया, "हम इस समय सभी पक्षों के साथ लगातार संपर्क में हैं. हमारी प्राथमिकताएं खूनखराबा को समाप्त करना, कैदियों को रिहा करना और यह सुनिश्चित करना है कि संघर्ष पर कोई क्षेत्रीय प्रभाव न पड़े." हालांकि इजरायली अधिकारी ने रॉयटर्स से कहा कि इस तरह की कोई बातचीत नहीं चल रही है.
हमास की धमकियों को कतार का न्यूज चैनल अल जजीरा देता है प्लेटफॉर्म
अल-जज़ीरा कतर का सबसे शक्तिशाली हथियार है. अल-जज़ीरा भारत सहित दुनिया में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर हमेशा मुखर रहता है पर कतर की किसी बात के लिए अपना मुंह बंद रखता है. अलजजीरा एक मीडिया संगठन है जिसे उच्च नैतिक, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, उदारवादी आधार रखना चाहिए. पर इस आधार पर वह दुनिया भर नैतिक ज्ञान बांटता फिरता है. लेकिन इसके फाउंडेशन में एक ऐसे शासन के निशान हैं जो निरंकुश, इस्लामवादी और गैर-बहुलवादी हैं. खुद को अरब दुनिया का पहला स्वतंत्र समाचार चैनल कहने वाला मीडिया संकठन मालिकाना हक कतर के अमीर के पास है. कई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि अल-जज़ीरा को चलाने के लिए कतर के अमीर ने सालाना सैकड़ों मिलियन डॉलर फंड चैनल को उपलब्ध करवाएं हैं. यही कारण है कि चैनल लगातार गाजा में हुए हमलों को तो दिखाता है पर इजरायल पर हुए वीभत्स हमलों को नजरअंदाज करता है.
फर्स्ट पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अकेले इस वर्ष ही इसने लगभग एक दर्जन लेख और रिपोर्टें प्रकाशित की हैं, जो एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में इसकी साख पर सवालिया निशान उठाती हैं. पिछले एक साल में करीब एक दर्जन ऐसे लेख छपे हैं जिनमें भारत के लोकतंत्र की अंतहीन आलोचना की गई है. एक ऑर्टिकल में तो भारत को फेल राष्ट्र तक का दर्जा दिया गया है.