बीएसपी में आकाश आनंद की बाइज्जत वापसी पहले ही हो चुकी है. अब सबकी नजरें उनकी तीसरी पारी पर टिकी हुई हैं. देखना है, नई शुरुआत कहां से होती है. ठीक वहीं से जहां सफर थमा था, या फिर से नये सिरे से. मतलब, जीरो से?
आकाश आनंद की तीसरी पारी का संकेत मिला है, बीएसपी नेता मायावती की सोशल मीडिया पोस्ट से. मायावती ने 24 घंटे के अंतराल पर बहुत सारे पोस्ट शेयर किया है. सोशल साइट एक्स पर मायावती ने एक साथ पहले चार पोस्ट डाली, और उतने ही एक दिन बाद फिर से. दोनो में एक फर्क है, पहले बैच में ये संकेत तो था कि बातें आकाश आनंद के इर्द-गिर्द ही घूम रही हैं. और, दूसरे बैच में कंफर्म भी हो गया - क्योंकि दो बार आकाश आनंद का नाम भी लिया गया था.
ये तो साफ हो ही चुका है कि आकाश आनंद को जल्दी ही जिम्मेदारियां सौंपी जानी है. उत्तराधिकार नहीं मिलेगा, ये पहले ही साफ हो चुका है. क्योंकि, मायावती अपनी तरफ से साफ कर चुकी हैं कि जब तक वो काम कर रही हैं, और उनकी सेहत सही है, बीएसपी संस्थापक कांशीराम की उत्तराधिकारी वही रहेंगी. ये बात अलग है कि स्टैंड में संशोधन तो कभी भी हो सकता है. आकाश आनंद का मामला ही सबसे बड़ी मिसाल है.
कुछ बातें और भी हैं जो साफ तौर पर महसूस की जा सकती हैं. मसलन, आकाश आनंद की नई पारी में अधिकार और प्रभाव. जिस तरह से मायावती ने बीएसपी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की है - ये भी साफ हो जाता है कि आकाश आनंद नई पारी में पहले के मुकाबले ज्यादा प्रभावी और ताकतवर हो सकते हैं.
आकाश आनंद के नये सफर में एक खुशनुमा अवरोध था, और उनके भाई ईशान आनंद की हंसी खुशी शादी भी संपन्न हो चुकी है. पूरे परिवार में खुशी की लहर है, और उसका असर पार्टी में भी देखने को मिलने वाला है.
मायावती का मैसेज क्या है, और किसके लिए?
पहले दिन मायावती ने समर्थकों को संदेश, बीएसपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को नसीहत और राजनीतिक विरोधियों को आगाह करने की कोशिश की. और, समझाया कि हाल फिलहाल बीएसपी में, खास तौर पर आकाश आनंद के साथ, जो कुछ हुआ है, वो सब करना पड़ता है. मायावती ने एक डिस्क्लेमर भी दिया है, मिशन के लिए सब कुछ बहुजन आंदोलन के लिए है, कुछ भी निजी नहीं है.
मायावती ने लिखा है, विरोधी पार्टियों के षड्यन्त्र के तहत पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर जब अपनी पार्टी को कमजोर करने में लग जाते हैं, या फिर पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने और परिपक्वता के साथ काम न करने के कारण उन्हें मजबूरी में, पार्टी हित में निकालना पड़ता है... जल्दी ही उनके समझ में आने और गलती का एहसास करने के बाद जब वापस ले लिया जाता है... फिर कांग्रेस, बीजेपी और अन्य विरोधी पार्टियां इसे आया राम और गया राम की संज्ञा देकर, पार्टी की छवि को धूमिल करने की पूरी-पूरी कोशिश करती हैं.
ऐसी कई बातें समझाते हुए मायावती ने राजनीतिक विरोधियों से बीएसपी के लोगों को सतर्क रहने को कहा है. कहती हैं, जबसे पार्टी बनी है तो ऐसा किया जाता रहा है, जिन्हें पार्टी से कई-कई बार निकाला भी है, और उन्हें वापस भी लिया है. ऐसा अन्य पार्टियों में भी होता है... आकाश आनंद के मामले में खासकर बहुजन समाज के कुछ स्वार्थी और बिकाऊ लोग, जिन्होंने पार्टी के वोटों को बांटने व कमजोर करने के लिए अपनी अनेक पार्टी और संगठन आदि बनाये हुए हैं, वे इस बात का मीडिया में आये दिन काफी गलत प्रचार करते रहते हैं.
और सबसे महत्वपूर्ण बात, मायावती ने आकाश आनंद के पक्ष में एक खास अपील भी की है. कहा है, आकाश आनंद का अब हौसला भी जरूर बढाएं ताकि वह पार्टी के काम में पूरे जी-जान से जुट जाएं... पार्टी में अन्य जो भी लोग वापस लिये गये हैं, उन्हें भी पूरा आदर-सम्मान दिया जाये, जो पार्टी हित में है.
क्या मायावती की नजर में आनंद जैसा कोई नहीं?
24 अप्रैल को ईशान आनंद की शादी थी. ईशान आनंद, आकाश आनंद के भाई और मायावती के भाई आनंद कुमार के दूसरे बेटे हैं. सब कुछ शादी तक रुका हुआ था. आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार ने ही बीच बचाव करके और समझा बुझाकर मायावती का गुस्सा कम किया, और आकाश आनंद की वापसी संभव कराई.
ध्यान से पूरे मामले को देखें तो ये भी लगता है कि मायावती भी आकाश आनंद को यूं ही छोड़ देना नहीं चाहती थीं. आकाश आनंद ने कभी मायावती की बात काटी नहीं है. पहली बार भी निकाला गया था, तब भी आकाश आनंद ने किसी तरह की नाराजगी नहीं जताई थी. जो कुछ भी कहा था, लब्बोलुआब यही था कि मायावती ने सही किया है. और, माफी मांगते वक्त भी आकाश आनंद ने मायावती को ही अपना राजनीतिक गुरु और आर्दश भी बताया था.
आकाश आनंद से नाराज होने पर मायावती ने ईशान आनंद को भी आजमाने की कोशिश की. बीएसपी की मीटिंग में बुलाकर साथियों से परिचय भी कराया था. हालांकि, तब ये भी बताया गया था कि कुछ दिन वो अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाएंगे. लेकिन, लगता है मायावती को जल्दी ही मालूम हो गया कि ईशान की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी नहीं है.
दोनो भाइयों में एक फर्क ये भी है, जो परिवार के हिसाब से महत्वपूर्ण है. ईशान आनंद ने जाति बिरादरी से बाहर जाकर शादी की है, जबकि माना जाता है कि आकाश आनंद की शादी मायावती ने ही कराई है. बल्कि, मायावती ने शादी तय कर दी, और आकाश आनंद ने चुपचाप बात मान ली.
आकाश आनंद बचपन से ही मायावती के प्रिय रहे हैं. प्यार-दुलार के साथ साथ मायावती ने बीएसपी में शामिल कर राजनीति का ककहरा भी सिखाया है. उत्तराधिकारी भी यूं ही तो बनाया नहीं होगा, जांच परखकर और काफी सोच समझकर ही फैसला लिया होगा - अब तो यही लगता है कि मायावती की नजर में आकाश आनंद जैसा कोई और है भी नहीं.