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तस्वीर में दिख रही ये महिला नहीं मूर्ति है... भगवान के बगल में रखकर बेटा करता है पूजा

कहते हैं मां से बढ़कर दुनिया में कोई नहीं होता है. वो कुदरत का अनमोल तोहफा है और उसके बिना दुनिया की परिकल्पना नामुमकिन है. जन्म देने वाली मां का साथ छूट जाना बेहद पीड़ादायक होता है. ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश के कटनी से सामने आई है. यहां मां को खोने के बाद एक बेटे ने अनूठी मिसाल कायम की है.

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मंदिर के पास रखी महिला की मूर्ति.
मंदिर के पास रखी महिला की मूर्ति.

मध्य प्रदेश के कटनी से एक बेटे का मां के प्रति अटूट प्रेम की अनूठी दास्तां सामने आई है. मां के दुनिया छोड़ जाने के बाद बेटे ने उसकी कमी पूरी करने के लिए अनूठी मिसाल पेश की है. बेटे ने बेंगलुरु के प्रसिद्ध सिलिकॉन मूर्तिकार श्रीधर से मां की मूर्ति बनवाकर पूजा घर में रखी है. पूरा परिवार भगवान के साथ-साथ सिलिकॉन से बनी मूर्ति की भी पूजा करता है.

गौरतलब है कि कटनी के आचार्य विनोवा भावे वार्ड राहुल बाग में रहने वाले सोनी परिवार में दो मई 2021 का दिन काल बनकर आया था. महामारी के दौरान ज्वेलर्स व्यवसायी सुरेश कुमार सोनी की धर्म पत्नी सावित्री सोनी की अचानक तबियत बिगड़ी और निधन हो गया. इससे उनके घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 

सुध-बुध खो बैठा और डिप्रेशन में जाने लगा बेटा

इसके साथ ही मां के निधन के बाद तीनों बेटे डॉ. गगन सोनी, आशीष सोनी, अभिषेक सोनी और बेटी रश्मि सोनी का हाल बेहाल हो गया. कई दिनों तक सभी गहरे सदमे में रहे. दुख से बाकी सब तो उबर गए. मगर, छोटे बेटे अभिषेक का अपनी मां बेहद जुड़ाव था. मां को खोने के बाद वह अपनी सुध-बुध खो बैठा और डिप्रेशन में जाने लगा.

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'ये चीज हम लोग जीवन में कभी नहीं भूल सकते'

सुरेश सोनी ने बताया कि अपनी मां की याद में छोटे बेटे ने मूर्ति का निर्माण बेंगलुरु से कराया. उसने हम लोगों की जानकारी के बगैर ऐसा काम किया. ये चीज हम लोग जीवन में कभी नहीं भूल सकते. वहीं अभिषेक की पत्नी मोनिका का कहना है कि मां के न रहने पर वो रात-रातभर छत पर जाकर रोया करते थे. इसके बाद जब घर में मां की मूर्ति आई तो हम सब शॉक थे. इसके साथ ही ऐसी फीलिंग आई कि उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते.

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फिर बेंगलुरु के मूर्ति कलाकार से संपर्क किया

अभिषेक ने बताया कि वो हमेशा मां की ही याद में खोया रहता था, क्योंकि मां के प्रति उसका अटूट प्रेम था. लगता था शायद मां कहीं से अवाज दे रही हैं, कहीं न कहीं दिख जाएगीं. ऐसा सोच-सोचकर डिप्रेशन में जाने लगा. फिर सोशल मीडिया में देखा तो पाया कि बेंगलुरु के कलाकार श्रीधर मूर्ति हूबहू लोगों के स्टैच्यू बना देते हैं. उनसे संपर्क किया तो उन्होंने मां की स्टैच्यू बनाने से मना कर दिया. मगर, कई बार आग्रह किया.

'सबकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए'

इसके बाद उन्होंने एक साल का समय लिया और छह महीने पहले मां की सिलिकॉन की स्टैच्यू बनाकर दी. जब मां की स्टैच्यू घर पहुंची तो पिता सुरेश सहित पूरा परिवार द्रवित रह गया. सबकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए. अभिषेक ने आगे बताया कि मां की मूर्ति को हम लोगों ने घर के मंदिर के बगल में ही स्थापित किया है. उनकी पोषाक और गहने भी बदलते हैं. 

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(रिपोर्ट- अमर ताम्रकार)

 

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