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MP News: 'भाई तेरा सेलेक्शन नहीं हुआ...', झूठ से चली गई ADOP की नौकरी, HC ने भी फटकारा

मध्य प्रदेश के दतिया के रहने वाले राजशील कुशवाह ने एमपीपीएससी परीक्षा दी थी. उसका एडीओपी के पद पर चयन हो गया. लेकिन पिता की तबीयत खराब होने की वजह से उसने अपने भाई को रिजल्ट देखने के लिए भेजा. भाई ने राजशील से कहा कि उसका सेलेक्शन नहीं हुआ है. बाद में यह बात पता चलने पर राजशील ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर.

खून के रिश्तों में हमेशा भरोसा ही रिश्तों की सबसे मजबूत कड़ी होती है. मगर, इसी भरोसे में पड़कर किसी का करियर चौपट हो जाए, तो इसे आप क्या कहेंगे? ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सामने आया है. यहां एक भाई ने अपने भाई पर अटूट विश्वास किया, लेकिन इसके बदले उसके हाथ से नौकरी निकल गई. भाई के विश्वास घात का शिकार हुए पीड़ित ने कोर्ट की शरण भी ली, लेकिन कोर्ट ने भी उसे फटकार लगा दी. 

दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत साल 2021 से हुई, जब एमपीपीएससी ने एडीपीओ के लिए परीक्षा आयोजित की थी. दतिया के रहने वाले राजशील कुशवाह ने इस परीक्षा में शामिल होकर नौकरी हासिल करने का सपना देखा था. उसने परीक्षा तो दे दी, लेकिन असली कहानी परीक्षा परिणाम के समय शुरू हुई. 

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एमपीपीएससी द्वारा परीक्षा परिणाम फरवरी 2022 में घोषित किया गया था. राजशील ने परीक्षा परिणाम एमपीपीएससी की वेबसाइट पर स्वयं देखने की बजाय अपने भाई को भेज दिया. भाई ने राजशील को बताया कि उसका सेलेक्शन नहीं हो पाया है. राजशील ने अपने भाई का विश्वास कर लिया. उस समय राजशील के पिता की तबीयत खराब चल रही थी, इसलिए राजशील पिता की देखभाल में लग गया. 

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राजशील ने ई-मेल भी नहीं किया चेक  

राजशील एडीपीओ की परीक्षा पास कर चुका था, इसलिए एमपीपीएससी की तरफ से सभी सफल अभ्यर्थियों के दस्तावेज जांच के लिए ईमेल के माध्यम से मांगे गए थे. राजशील ने इस दौरान अपना ईमेल भी चेक नहीं किया. जब राजशील की तरफ से कोई दस्तावेज नहीं भेजा गया, तो एमपीपीएससी की तरफ से राजशील को नोटिस भेजा गया. 

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जब राजशील को नोटिस मिला तो वह हैरान रह गया. नोटिस मिलने पर राजशील को मालूम हुआ कि वह तो एडीपीओ की परीक्षा में पास हो गया था. इसके बाद उसने एमपीपीएससी में आवेदन देकर फरवरी 2024 में आयोजित होने वाले साक्षात्कार में शामिल होने की गुजारिश की, लेकिन बात नहीं बनी. 

हाई कोर्ट ने माना लापरवाह था रवैया 

इसके बाद राजशील ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की और साक्षात्कार में शामिल होने की गुजारिश की. मगर, एमपीपीएससी की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट रविंद्र दीक्षित द्वारा हाईकोर्ट में यह बात रखी गई कि अभ्यर्थी का रवैया काफी लापरवाह रहा है इसलिए इसे मौका नहीं मिलना चाहिए. 

हाई कोर्ट ने भी इस बात को माना कि अभ्यर्थी लापरवाह है, इसलिए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए राहत देने से इनकार कर दिया. भाई की बातों पर विश्वास करके राजशील का करियर फिलहाल चौपट हो गया है.

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