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खंडवा के 'वॉटर अवार्ड' पर सियासी घमासान... जीतू पटवारी बोले- AI से कुएं बनाकर जीत लिया पुरस्कार; प्रशासन ने आरोपों को बताया निराधार

MP कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का दावा है कि खंडवा प्रशासन ने दो फुट गहरे गड्ढों को AI के जरिए कुएं दिखाकर पोर्टल पर अपलोड कर दिया. इन्हीं फर्जी तस्वीरों के आधार पर राष्ट्रपति से पुरस्कार ले लिया गया. उधर, प्रशासन ने माना कि गलत इरादे से किसी ने 'कैच द रेन' पोर्टल पर 21 AI तस्वीरें डाली थीं, उन पर कार्रवाई की जा रही है.

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खंडवा प्रशासन का कहना है कि पुरस्कार का तस्वीरों से लेना-देना नहीं.(Photo:@jitupatwari)
खंडवा प्रशासन का कहना है कि पुरस्कार का तस्वीरों से लेना-देना नहीं.(Photo:@jitupatwari)

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है, जिसमें दावा किया गया है कि खंडवा जिला प्रशासन ने AI से बनी तस्वीरों का इस्तेमाल करके राष्ट्रीय जल संरक्षण पुरस्कार जीता है. हालांकि, जिले के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है. एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक विवाद बढ़ता देख खंडवा जिला पंचायत के CEO नागार्जुन बी गौड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में पूरी स्थिति स्पष्ट कर दी.  

दरअसल, केंद्र के 'जल संचय, जन भागीदारी' अभियान के तहत जल संरक्षण में बेहतरीन काम के लिए खंडवा जिले को देश भर में पहला स्थान मिला है. नवंबर में नई दिल्ली में आयोजित छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में इसे 2 करोड़ रुपये का पुरस्कार मिला. खंडवा जिले की कावेश्वर पंचायत ने भी समारोह में सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत श्रेणी में दूसरा पुरस्कार जीता.

मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने 'X' पर एक पोस्ट में आरोप लगाया, ''जहां बीजेपी सरकार को हमारे बच्चों को AI का सही इस्तेमाल सिखाना चाहिए, वहीं वह खुद AI का इस्तेमाल करके भ्रष्टाचार कर रही है. खंडवा में बीजेपी सरकार के अधिकारियों ने दो फुट गहरे गड्ढों को AI का इस्तेमाल करके कुएं बना दिया और इलाके में अलग-अलग विकास कार्यों की AI से बनी तस्वीरें पोर्टल पर अपलोड कर दीं."

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कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ''इन तस्वीरों के आधार पर उन्होंने माननीय राष्ट्रपति से पुरस्कार भी ले लिया. जब जमीनी हकीकत सामने आई, तो वहां खेत और खाली मैदान पाए गए. साफ है कि यह जल संरक्षण नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी से बनी तस्वीरों का खेल था. बीजेपी शासन में भ्रष्टाचार भी स्मार्ट हो गया है."

राष्ट्रीय जल पुरस्कार से जुड़े आरोपों पर विवाद बढ़ने के बाद खंडवा प्रशासन ने अपनी स्थिति साफ करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

जिला प्रशासन का पलटवार- पुरस्कार का तस्वीरों से लेना-देना नहीं

जिला पंचायत मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) नागार्जुन बी गौड़ा ने कहा कि AI से बनी तस्वीरें अपलोड करने का राष्ट्रीय जल पुरस्कार से कोई लेना-देना नहीं है.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, सीईओ ने कहा कि 'जल संचय, जन भागीदारी' अभियान के तहत किए गए 1 लाख 29 हजार 46 कार्यों की पूरी जांच के बाद वेरिफाइड तस्वीरें अभियान के JSJB पोर्टल पर अपलोड की गईं.

IAS गौड़ा ने कहा कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने इन सभी तस्वीरों को वेरिफाई किया और कुल कार्यों के एक प्रतिशत का रैंडम फील्ड इंस्पेक्शन किया.

CEO ने आगे कहा, "पहली नजर में खंडवा जिले में किए गए जल संरक्षण कार्यों के बारे में कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा झूठी खबरें फैलाई जा रही हैं."

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उन्होंने कहा कि जल संरक्षण से संबंधित तस्वीरें 'कैच द रेन' नाम के दूसरे पोर्टल पर सिर्फ शैक्षिक और प्रेरणादायक उद्देश्यों के लिए अपलोड की जाती हैं.

CEO ने आगे कहा, "जिला प्रशासन को पता चला है कि AI से बनाई गई 21 तस्वीरें 'कैच द रेन' पोर्टल पर अपलोड की गई थीं. यह शायद गलत इरादे से किया गया था. जिला प्रशासन इन तस्वीरों को अपलोड करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है."

गौड़ा ने आगे कहा, "'कैच द रेन' पोर्टल 'जल संचय, जन भागीदारी' अभियान पोर्टल से बिल्कुल अलग है. 'जल संचय, जन भागीदारी' अभियान के तहत अवॉर्ड 'कैच द रेन' पोर्टल पर अपलोड की गई तस्वीरों के आधार पर नहीं दिए जाते हैं."

उन्होंने आगे बताया कि 'जल संचय, जन भागीदारी' अभियान के तहत खंडवा जिले में 1.25 लाख से ज्यादा जल संरक्षण के काम किए गए, जो देश में सबसे ज्यादा हैं.

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