मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत तेज हो गई है. बीजेपी और कांग्रेस ने एक-दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं. कांग्रेस लगातार सिंधिया राजघराने पर रानी लक्ष्मीबाई को धोखा दिए जाने पर तंज कस रही है. इस बीच, पहली बार बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शनिवार को चुप्पी तोड़ी और कांग्रेस पर पलटवार किया है. ज्योतिरादित्य ने पूछा- तो पहले हमारे दिवंगत पिता (माधवराव सिंधिया) और बाद में मुझे पार्टी में क्यों शामिल किया और स्वीकार किया?
सिंधिया ने कहा, जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना भी नहीं पढ़ा है, उन्हें जो बोलना है बोलने दीजिए. मेरे और परिवार के कर्म, विचार और विचारधारा ग्वालियर, ग्वालियर संभाग, मध्य प्रदेश और देश के लिए समर्पित है. अगर उन्हें (कांग्रेस) इतनी ही चिंता है तो उन्होंने मुझे, मेरे पिता (स्व. माधवराव सिंधिया) को अपनी पार्टी में क्यों शामिल किया?
प्रियंका की रैली से पहले ग्वालियर में लगे पोस्टर
बता दें कि शुक्रवार को ग्वालियर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मेला मैदान में रैली थी. इससे पहले शहर में पोस्टर लगाए थे, जिनमें दावा किया गया था कि ग्वालियर के तत्कालीन शासक सिंधिया ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को धोखा दिया था. फिर 1967 और 2020 में कांग्रेस पार्टी को भी धोखा दिया है.
कांग्रेस की रैली में गोविंद सिंह ने किया जिक्र
इतना ही नहीं, रैली में विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने भी दोहराया. उन्होंने कहा, सिंधिया परिवार ने पहले लक्ष्मीबाई को और फिर 1967 में कांग्रेस को निराश किया. दरअसल, गोविंद सिंह बिना नाम लिए विजया राजे सिंधिया का जिक्र कर रहे थे. तब उन्होंने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था. बताते चलें कि कुछ आलोचकों की तरफ से ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा पर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में झांसी की रानी की मदद ना करने का आरोप लगाया जाता है. कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता में भी इसका जिक्र किया गया है.
2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया
कांग्रेस से बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र सरकार में मंत्री हैं. मध्य प्रदेश में मार्च 2020 में तब कांग्रेस की सरकार गिर गई थी, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी. बाद में सभी नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे. कमलनाथ को 15 महीने बाद ही सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था और बीजेपी से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बने थे.