गांधी परिवार के करीबी रहे दिग्गज कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. शनिवार को आनन-फानन में भोपाल से दिल्ली पहुंचे कमलनाथ से जब सवाल बीजेपी ज्वॉइन करने को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने ना तो स्वीकार किया और ना ही इनकार किया. हालांकि कांग्रेस लगातार इन अटकलों को खारिज कर रही है कि कमलनाथ बीजेपी में जा सकते हैं.
जीतू पटवारी ने अटकलों को बताया काल्पनिक
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को 'मीडिया की उपज करार' देते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमलनाथ को अपना 'तीसरा बेटा' बताया था. पटवारी ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "कमलनाथ के बारे में ये बातें निराधार हैं. जब 1980 में कमलनाथ जी ने पहली बार चुनाव लड़ा था तो इंदिराजी ने (छिंदवाड़ा में) एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए नाथ को अपने तीसरे बेटे के रूप में पेश किया था. क्या कोई इंदिरा जी के तीसरे बेटे के भाजपा में शामिल होने का सपना देख सकते हैं?"
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कमलनाथ पहली बार 1980 में 7वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे और वह छिंदवाड़ा से 9 बार लोकसभा सांसद रहे. फिलहाल वह छिंदवाड़ा से विधायक हैं जबकि उनके बेटे नकुलनाथ स्थानीय सांसद हैं. बताया जाता है कि 77 वर्षीय कमलनाथ राज्यसभा सीट न मिलने से असंतुष्ट थे और विधानसभा चुनाव हारने के बाद से राहुल गांधी भी उनके विरोधी हो गए थे.
हालांकि, पटवारी ने उन खबरों का खंडन किया कि कांग्रेस से राज्यसभा टिकट दिए जाने से इनकार किए जाने के बाद नाथ नाराज थे. उन्होंने कहा, 'नाथ ने राज्यसभा के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में अशोक सिंह का नाम प्रस्तावित किया, जिसका पार्टी नेताओं ने सर्वसम्मति से समर्थन किया.'

कमलनाथ और संजय गांधी
मशहूर थी संजय गांधी और कमलनाथ की दोस्ती
इन अटकलों के बीच कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं, नाथ शनिवार दोपहर दिल्ली पहुंचे और कहा कि अगर ऐसी कोई बात होगी तो वह पहले मीडिया को सूचित करेंगे. पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया से उत्साहित नहीं होने को कहा.
कमलनाथ की पहचान एक चतुर राजनीतिज्ञ की रही है जिन्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया था. नाथ का मध्य प्रदेश के साथ जुड़ाव 1979-80 से रहा है जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना "तीसरा बेटा" बताया था.
उनके साथ एक नारा "इंदिरा के दो हाथ, संजय गांधी और कमल नाथ" तक जुड़ा हुआ था. पटवारी ने बताया कि 1970 के दशक में नाथ और संजय गांधी की दोस्ती बहुत मशहूर थी. उन्होंने कहा कि नाथ दशकों से नेहरू-गांधी परिवार से जुड़े रहे हैं और उन्हें पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के विश्वासपात्र रहे, जिनकी विचारधारा का वह समर्थन करते थे. उनके कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी अच्छे संबंध रहे हैं.
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए जीतू पटवारी ने कहा, 'अभी दो महीने पहले ही कांग्रेस के हर कार्यकर्ता ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. नाथ उस बुरे दौर में भी चट्टान की तरह कांग्रेस के पीछे खड़े रहे जब मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार गिर गई थी.
दिग्विजय सिंह ने भी खारिज की अटकलें
आपको बता दें कि पिछले कुछ दिनों से कमलनाथ के बीजेपी में जाने की अटकलें चल रही थीं, लेकिन शुक्रवार को अटकलों को तब और बल मिला जब प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि अगर नाथ और उनके बेटे कांग्रेस के फैसले से नाखुश हैं तो उनका बीजेपी में स्वागत है.
इस बीच, दिग्विजय सिंह ने कहा कि नेहरू-गांधी परिवार के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले कमल नाथ कभी पार्टी नहीं छोड़ सकते हैं. उन्होंने कहा, "तोड़ने के चक्कर में मत पड़िए. मैंने कल रात लगभग साढ़े दस या ग्यारह बजे कमल नाथ जी से बात की थी. वह छिंदवाड़ा में हैं. जिस व्यक्ति ने गांधी और नेहरू परिवार के साथ अपनी राजनीतिक पारी शुरू की वह कैसे पार्टी छोड़ सकता है.. वह उस समय पार्टी के पीछे खड़े थे जब पूरी जनता पार्टी और तत्कालीन सरकार (पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिराजी को जेल भेज रही थी. क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि ऐसा व्यक्ति कांग्रेस, सोनियाजी और इंदिराजी परिवार को छोड़ देगा? आप सभी को इसके बारे में सोचना भी नहीं चाहिए.'
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