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MP: शिवपुरी में कुपोषण से 1 साल की बच्ची की मौत, मात्र 3.7 किलो था वजन; दादी और पिता पर लापरवाही के आरोप

विधानसभा सत्र के दौरान BJP सरकार ने सदन में बताया था कि कुपोषित बच्चों पर सरकार 8 रुपये और अतिकुपोषित बच्चों पर 12 रुपये खर्च करती है. इसके अलावा सदन में आंकड़े पेश करते हुए बताया कि राज्य में 27 फीसदी बच्चे कम वजन वाले हैं और 1.36 फीसदी बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं.

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शिवपुरी में कुपोषण से बच्ची की मौत.
शिवपुरी में कुपोषण से बच्ची की मौत.

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में हड्डियों से चिपकी चमड़ी और बाहर निकली आंखों वाली बच्ची दिव्यांशी की दर्दनाक कहानी सामने आई है. कुपोषण के कारण उसने दम तोड़ दिया. बच्ची की उम्र 1 साल 3 महीना बताई गई है, जबकि बच्ची का कुल वजन 3 किलो 700 ग्राम रिकॉर्ड किया गया है. बच्ची बेहद कुपोषित हालत में जिला चिकित्सालय लाई गई थी, जहां उपचार के दौरान मौत हो गई.

मां खुशबू धाकड़ ने बताया कि उनकी बच्ची को लंबे समय से दस्त की शिकायत थी. गांव की आशा कार्यकर्ता उसे इलाज के लिए सतनवाड़ा ले गई थी और उसका वजन भी कराया गया था. बच्ची की लगातार बीमारी के कारण सास कुंदन ताने मारती थीं और कहती थी कि इसे मर जाने दो. 

खुशबू ने बताया कि उनके पति लाखन धाकड़ को काम मिलने पर ही वे कुछ करते हैं, अन्यथा नहीं. पति और देवर दिलीप मारपीट भी करते हैं. खुशबू की शादी 2024 में हुई थी और वह बिहार की रहने वाली हैं.

इस मामले में कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि यह सीधे तौर पर कुपोषण का मामला नहीं है, बल्कि बच्ची को पुरानी बीमारी थी. मां तीन महीने तक बच्ची को लेकर बाहर रही थी. बच्ची का इलाज जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में हुआ. परिवार के अन्य सदस्यों का व्यवहार बच्ची के प्रति ठीक नहीं था, जैसा कि मां ने भी बताया. कुपोषित बच्चों को दलिया और पोषण आहार किट दी जाती है. बच्ची का वजन पहले सात किलो था, जो बाद में घटकर तीन किलो रह गया. 

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कलेक्टर ने बताया कि जिले में हर साल लगभग दो हजार कम वजन वाले बच्चे आते हैं, जिन्हें न्यूट्रीशन रिहैबिलिटेशन सेंटर (NRC) में भर्ती कर इलाज किया जाता है.

यह भी पढ़ें: कुपोषित बच्चों पर 8 रुपये, अति कुपोषित बच्चों पर ₹12 खर्च... MP में कैसे मिटेगा कुपोषण?

हाल ही में विधानसभा सत्र में सरकार ने बताया था कि कुपोषित बच्चों पर प्रतिदिन 8 रुपये और अतिकुपोषित बच्चों पर 12 रुपये खर्च किए जाते हैं. राज्य में 27 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं और 1.36 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. एनआरसी में भर्ती कुपोषित बच्चों को F-75 (दूध), F-100 (दूध और शक्कर), और SF (मूंगफली, सूजी और मीठा तेल से बना आहार) दिन में तीन बार दिया जाता है.

इनका कहना 

महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने कहा कि सरकार कुपोषण के प्रति सतर्क है, लेकिन केवल योजनाओं के भरोसे नहीं, बल्कि माता-पिता और समाज को भी जागरूक होना होगा ताकि कुपोषण को समाप्त किया जा सके.

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